Friday, October 28, 2011

आत्मा का संगीत


जून २००२ 

ईश्वर को जानना हो तो पहले खुद को जानना होगा, अर्थात जो आज तक हम स्वयं को मानते आये हैं, उससे अलग अपने सच्चे ‘मैं’ को जानना, मन व बुद्धि के द्वारा जो खुद को जाना है उससे भी परे जहाँ मन रहता ही नहीं, और खुद को जानने के लिये वर्तमान में रहना होगा. वर्तमान में रहने से ही ध्यान सधता है. ध्यान में हम अपने तन रूपी साज को साध कर मन के पार जाकर आत्मा का संगीत उजागर करते हैं, जिसके द्वारा ईश्वर को रिझाया जाता है.

4 comments:

  1. ध्यान से सुनना पड़ता है वह।

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  2. वाह! बहुत सही, ईश्वर को जानने के लिए खुद को जानना चाहिए सबसे पहले।

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  3. वर्तमान में रहने से ही ध्यान सधता है..

    यह सबसे महत्वपूर्ण बात है.. बाहर सुब्दर विचार.

    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है...
    www.belovedlife-santosh.blogspot.com

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