Friday, November 4, 2011

अनन्तता


जून २००२ 

ईश्वर हर क्षण हमारे साथ है. वह कितने विभिन्न उपायों से अपनी उपस्थिति जता रहा है. प्रेरणादायक वचन सुनने को मिलते हैं, सारी बातें जैसे किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार हमारे जीवन में सही समय पर आने लगती हैं. वस्तुएं अपने वास्तविक रूप में प्रकट होना चाहती हैं. आवरण हटता जा रहा है. हमें पूर्ण सहयोग देना है. शुभ संकल्प करके मन को स्थिर रखना है. सत्य को धारण करने के लिये मन को खाली रखना है. कामनाएं कम हों और धीरे-धीरे समाप्त होती चली जाएँ, क्योंकि इनमें सार नहीं है. जो सुख इनसे हमें मिलता है वह क्षणिक होता है. किन्तु आध्यात्मिक सुख अनंत है. वह हमारे निकट से भी निकटतर है, केवल मिथ्या अहंकार का आवरण हमारे और उसके बीच है. हमने अपनी जो छवि अपनी दृष्टि में बना ली है वह असत् है. देह, मन, बुद्धि व अहंकार से परे हम शुद्ध, बुद्ध, मुक्त आत्मा हैं जिसमें हमें स्थित होना है. 

12 comments:

  1. bahut sunder ....
    gyan ke alok se alokit....

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  2. शुभ संकल्प करके
    मन को स्थिर रखना है ...

    जीवन-दर्शन से जुड़े
    सटीक और सार्थक शब्द
    बहुत खूब !

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  3. •आपकी किसी पोस्ट की हलचल है ...कल शनिवार (५-११-११)को नयी-पुरानी हलचल पर ......कृपया पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें .....!!!धन्यवाद.

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  4. गहन चिंतन। उत्तम दर्शन।

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  5. सुन्दर चिंतन...
    सादर...

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  6. बहुत ही अच्छी बात कही आपने

    सादर

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  7. शुभ संकल्प करके मन को स्थिर रखना है. सत्य को धारण करने के लिये मन को खाली रखना है.
    प्रेरणा देते शब्द ...

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  8. अति उत्तम चिंतन है आपका.
    सुंदर प्रस्तुति के लिए आभार.

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  9. बहुत ही अच्छी बात कही आपने

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