जुलाई २००६
सबसे
कीमती वस्तु इस सम्पूर्ण ब्रह्मांड में एक ही है और वह है परम चेतना और वह चेतना इस
सृष्टि के कण-कण में समायी है, जिसने इस सृष्टि का निर्माण किया है, जो इसके नियम
चला रही है, जिसने ये नियम बनाये, जो स्वयं भी उन्ही का रूप हो गयी, उसी में समा
गयी, वही जानने योग्य है वह चेतना अविनाशी है. जो चेतना हम भीतर अनुभव करते हैं
उसी का अंश है. हमारा मन उसी से बना है, पर जानता नहीं और कल्पनाओं में डूबा रहता
है. जीवन में उत्सव तभी हो सकता है जब इस सत्य का अनुभव हो जाये.
" ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या ।"
ReplyDeleteशकुंतला जी, स्वागत व आभार !
ReplyDeleteमृदु ,सार्थक एवं सत्य ...!!
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