अप्रैल २००६
साधक
के हृदय में जब यह भाव जगने लगता है कि कौन सा वह पल होगा जब उसे परम अनुभव होगा,
वह उससे मिलेगा जिसकी खबर तो आती है, जिसके चर्चे तो उसने बहुत सुने हैं, जिसकी
झलक तो उसने बहुत देखी है पर जो अभी उससे छिपे हैं, वह तब कहीं फंसना नहीं चाहता. वह
कहीं भी भटकना नहीं चाहता, वह हर घड़ी स्वयं को मुक्त रखता है ताकि उनका स्वागत कर
सके. वह अपना हृदय उनके स्वागत में खाली रखना चाहता है, वह कोई चांस नहीं ले सकता,
पहले ही इतना समय निकल गया है.
बिल्कुल सच कहा आपने ....
ReplyDeleteस्वागत व आभार सदा जी
Deleteपरमानंद की प्राप्ति से बड़ा अनुभव और हो भी क्या सकता है।
ReplyDeleteपरमानंद की प्राप्ति से बड़ा अनुभव और हो भी क्या सकता है। लेमन ग्रास सब्ज़ी वालों के पास मिलती है वे लोग इसे चाय कहते हैं। इसे पांच मिनिट पानी में उबालके पीया जाता है। लम्बी घास की बंडल बनाके बेचते हैं इसे सब्जीवाले। कोलाबा सब्ज़ी मंडी में ये अक्सर आती है।
बहुत बहुत आभार इस जानकारी के लिए
Delete" कब मरिहौं कब भेटिहौं पूरन परमानन्द ।"
ReplyDeleteकबीर
शकुंतला जी, कबीर का यह वचन कितना सुंदर है
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