अप्रैल २००६
जब हम सुख के पीछे दौड़ते
हैं तो दुःख पीछा करता है और जब ज्ञान के पीछे दौड़ते हैं तो आनन्द पीछे आता है.
ज्ञान क्या है? एक ही चैतन्य सत्ता सबके भीतर व्याप्त है, वही जड़ में है वही चेतन
में, मूलतः सभी एक ही तत्व से बना है. हमें भिन्नता को नहीं सबके भीतर व्याप्त
सामान्य सत्ता को ही देखना है, वह सत्ता जो आनंद मयी, करुणा मयी तथा ज्ञानमयी है.
सारे सद्गुण उसी में निवास करते हैं. सभी प्राणी भीतर से शुद्ध हैं, यदि किसी के
प्रति हम दोष दृष्टि रखेंगे तो स्वयं को भी दोषी ही मानेंगे, तब अपने भीतर प्रवेश
सम्भव ही नहीं होगा. वह परमात्मा जब पूर्ण है तो उसका जगत भी पूर्ण ही है. जो भी
कमी है वह ऊपर-ऊपर है.
" दुख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोय ।
ReplyDeleteजो सुख में सुमिरन करे तो दुख काहे होय ॥"
कबीर
सही कहा है शकुंतला जी
Deleteबहुत बहुत आभार !
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