मई२०००
आज सब ओर नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है, इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि नैतिक मूल्यों के प्रति आस्था ही खत्म हो रही है., यदि हमारी चेतना का स्तर स्वार्थ से ऊपर उठकर परार्थ की ओर हो तथा उससे भी आगे परमार्थ के स्तर पर तक हो जाए तो नैतिक मूल्यों की स्थापना अपने आप हो जायेगी. परमार्थ की चेतना का अर्थ है कि हम अपने सभी कर्मों को ईश्वर अर्पण कर दें, तब सारे कार्य ही पूजा हो जायेंगे और हम कर्म बंधन में भी नहीं बंधना पड़ेगा.
yes,only this is the easiest way.
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