बुद्धि रूपी मछली जब आत्मा रूपी सागर को छोडकर मन और इन्द्रियों रूपी संकरी नहरों में आ जाती है तो उसका संबंध सागर से छूट जाता है और वह व्याकुल हो उठती है. जब वह पुनः आत्मा के सागर में पहुँच जाती है तो सुखी हो जाती है.... ईश्वर से हमारा संबंध वैसा ही है जैसा बूंद या लहर का सागर से. हमें उसने तीन शक्तियाँ दी हैं जानने की शक्ति, करने की शक्ति व मानने की शक्ति... जिनका सदुपयोग करके ही हम इस संसार सागर से पार हो सकते हैं.
सुन्दर ,मनोहर ,अनुकरणीय .आभार .
ReplyDelete