जून २०००
हमारे भीतर ज्ञान का अटूट खजाना भरा है. जिसकी चाबी खोजने का हम प्रयास ही नहीं करते, इस चाबी को हमने ही खोया है और इसे पाने की सामर्थ्य भी हममें मौजूद है. ज्ञान अनादि व अनंत है, विचार उदय होता है और अस्त होता है, पर ज्ञान शाश्वत है. ऐसे ज्ञान को पाना ही मानव जीवन का ध्येय होना चाहिए. ऐसा ज्ञान अंतर्मन में छिपे गुणों को उभारता है. सहजता, निर्मलता, अक्रोध, निरहंकारिता आदि सदगुण तथा अन्य सभी गुण जो हमें पवित्र बनाते हैं, स्वयं के साथ साथ तब हम जग को भी उनकी सुगंध से भर सकते हैं. हमारी सम्भावनाएं असीम हैं.
भगवदगीता में भी कहा गया है कि सभी में ज्ञान विद्यमान है.परन्तु यह ज्ञान अज्ञान से आवर्त है,यदि अज्ञान को दूर कर दिया जाए तो ज्ञान का सूर्य चमचमाता प्रकट हो जायेगा.
ReplyDeleteआपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
मन को छू गयी आपकी बात।
ReplyDeleteकैसा ऐसा सभी लोग महसूस कर पाते, तो ये धरती कितनी खूबसूरत हो जाती।
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रहस्यम आग...
ब्लॉग-मैन पाबला जी...