Tuesday, March 5, 2013

कुछ न करे जब पल भर को मन


मई २००४ 
ध्यान में हमें कुछ न करने का सुझाव दिया जाता है, जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत मानव सदा कुछ न कुछ करता ही रहता है. सदा बाहर की ओर ही उसकी इन्द्रियाँ दौड़ती हैं, सदा कुछ न कुछ पाने की चाह, कोई न कोई इच्छा उसे निरंतर दौड़ते रहने पर मजबूर करती है, पर जब यह मन समझ जाता है कि उसकी यह दौड़ कोल्हू के बैल की तरह है जो उसे कहीं नहीं पहुंचाती, तो वह ध्यान में उत्सुक होता है. अभ्यास से मन टिकने लगता है, भूत की चिंता व भविष्य की आशंका से मुक्त हो वर्तमान के उस छोटे से द्वार में प्रवेश करना सीख लेता है जो अनंत में खुलता है.

8 comments:

  1. बहुत खूब दर्शन है अनुभूत सत्य है यह .सहमत .

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  2. वर्तमान में ठहर जाना ही ध्यान है.......बहुत सुन्दर अनीता जी........वक़्त मिले तो जज़्बात पर भी आएं।

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  3. अभ्यास करने से ही इंसान पारंगत होता है,,,,

    Recent post: रंग,

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  4. ध्यान में मन की चंचलता बहुत बड़ी बाधक है,सार्थक प्रस्तुति.

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    1. मन को शांत करने के लिए पहले प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए

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  5. हरी अनंत हरी कथा अनंता ........कहत सुनत बहु विधि सब संता .....व्यतीत और अनागत की प्रेत छायाँ तो मन को छोड़े ...

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