मार्च २००३
तत्व में टिके बिना स्वस्थ नहीं रहा जा सकता. मन यदि वर्तमान में नहीं रहता और
बुद्धि उसके पीछे जाती है, ‘स्व’ बुद्धि के पीछे जाता है तो स्व स्थ नहीं रहा
अर्थात स्वस्थ नहीं रहा. जो स्वतः सिद्ध है उसमें टिके रहना ज्ञान से ही संभव है.
अपनी कमियों की ओर नहीं बल्कि हमारे भीतर जो सहज प्राप्त परम तत्व है उसकी ओर अपनी
दृष्टि रखें तो उसे ही प्राप्त होंगें. जीवन अनंत है, वर्तमान अटल है. जब तक यह तन
है तब तक इसका सदुपयोग करके वर्तमान में ही टिके रहना है अर्थात स्व में स्थित
रहना है. ताकि बारम्बार मरना न पड़े.
बहुत सही ...
ReplyDeleteसुंदर बात ..!
ReplyDeleteआभार .
अपनी कमियों की ओर नहीं बल्कि हमारे भीतर जो सहज प्राप्त परम तत्व है उसकी ओर अपनी दृष्टि रखें तो उसे ही प्राप्त होंगें. जीवन अनंत है, वर्तमान अटल है.
ReplyDeletethe wise man use to live in present. truth.
अपनी कमियों की ओर नहीं बल्कि हमारे भीतर जो सहज प्राप्त परम तत्व है उसकी ओर अपनी दृष्टि रखें तो उसे ही प्राप्त होंगें. जीवन अनंत है, वर्तमान अटल है.
ReplyDeletethe truth.
सुन्दर विचार।
ReplyDeleteहमेशा की तरह स्वयं की याद दिलाता लेख ..
ReplyDeleteरश्मि जी, अनुपमा जी, रमाकांत जी, परमजीत जी, व रितुजी आप सभी का स्वागत व आभार!
ReplyDeletebahut sahi aur satik baat hai.
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