Tuesday, May 22, 2012

तत्व ज्ञान की ओर


मार्च २००३  
तत्व में टिके बिना स्वस्थ नहीं रहा जा सकता. मन यदि वर्तमान में नहीं रहता और बुद्धि उसके पीछे जाती है, ‘स्व’ बुद्धि के पीछे जाता है तो स्व स्थ नहीं रहा अर्थात स्वस्थ नहीं रहा. जो स्वतः सिद्ध है उसमें टिके रहना ज्ञान से ही संभव है. अपनी कमियों की ओर नहीं बल्कि हमारे भीतर जो सहज प्राप्त परम तत्व है उसकी ओर अपनी दृष्टि रखें तो उसे ही प्राप्त होंगें. जीवन अनंत है, वर्तमान अटल है. जब तक यह तन है तब तक इसका सदुपयोग करके वर्तमान में ही टिके रहना है अर्थात स्व में स्थित रहना है. ताकि बारम्बार मरना न पड़े.

8 comments:

  1. सुंदर बात ..!
    आभार .

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  2. अपनी कमियों की ओर नहीं बल्कि हमारे भीतर जो सहज प्राप्त परम तत्व है उसकी ओर अपनी दृष्टि रखें तो उसे ही प्राप्त होंगें. जीवन अनंत है, वर्तमान अटल है.
    the wise man use to live in present. truth.

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  3. अपनी कमियों की ओर नहीं बल्कि हमारे भीतर जो सहज प्राप्त परम तत्व है उसकी ओर अपनी दृष्टि रखें तो उसे ही प्राप्त होंगें. जीवन अनंत है, वर्तमान अटल है.
    the truth.

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  4. हमेशा की तरह स्वयं की याद दिलाता लेख ..

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  5. रश्मि जी, अनुपमा जी, रमाकांत जी, परमजीत जी, व रितुजी आप सभी का स्वागत व आभार!

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  6. bahut sahi aur satik baat hai.

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