हमारी संस्कृति में धर्म मात्र पढ़ने-पढ़ाने के लिये या विचारों तक ही सीमित रखने के लिए
नहीं है. उसे जीवन में उतारने के हजारों ढंग हैं. धार्मिक होना एक संकीर्ण अर्थ
में लोग जब लेते हैं तभी विवाद होता है. धार्मिकता का अर्थ तो है उदारता,
सहिष्णुता, प्रेम, करुणा और उस परम आत्मा का साक्षात्कार इसी जीवन में, अपने
इन्हीं नेत्रों से...उसको जानना और उस से बल पाकर सबको अपनाने का भाव जगाना. साधक
के जीवन का यही लक्ष्य है.
एक साधक के जीवन का यही लक्ष्य होना चाहिए,,,,,,
ReplyDeleteअनीता जी,,, समर्थक बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,,,,,
RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,
धार्मिकता का अर्थ तो है उदारता, सहिष्णुता, प्रेम, करुणा और उस परम आत्मा का साक्षात्कार
ReplyDeleteखुबसूरत भाव जीवन का सत्य
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति।
ReplyDeleteबिलकुल सहमत हूँ आपसे धर्म आचरण की वस्तु है ।
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