अप्रैल २००३
स्वयं में जो प्रेम छिपा है उसे जागृत करने का नाम ही भक्ति है. उसके ऊपर एक आवरण
छा गया है, एक दीवार खड़ी हो गयी है उसके और हमारे बीच, उसे गिराना है, छोटी-छोटी
बातों से जो खिन्न न हो, भावनाओं के आवेग व आवेश जिस पर हावी न हों, सुख में जो
अभिमान न करे, दुःख में जो विचलित न हो ऐसा मन उस प्रेम को शीघ्र जगा सकता है. वह
प्रेम रसमय है, आनंद मय है, हमारी देह, मन बुद्धि, चित्त व अहंकार हैं तो सब उसी के
आश्रय से लेकिन उससे बेखबर हैं, जैसे किसी की आँख पर चश्मा चढ़ा हो और वह उसे ही
ढूंढ रहा हो.
हमेशा की तरह बेहतरीन और शानदार लेख।
ReplyDeletesundar ...aur sarthak bhi ....!!
ReplyDeleteवह प्रेम रसमय है, आनंद मय है, हमारी देह, मन बुद्धि, चित्त व अहंकार हैं तो सब उसी के आश्रय से लेकिन उससे बेखबर हैं, जैसे किसी की आँख पर चश्मा चढ़ा हो और वह उसे ही ढूंढ रहा हो.
ReplyDeleteभक्ति प्रगट हो तो जीवन का आनंद आये लेकिन उससे पहले प्रेम का निराकार स्वरूप तो मुखर हो .बढ़िया विचार गंगा .शुक्रिया . .कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
शनिवार, 26 मई 2012
दिल के खतरे को बढ़ा सकतीं हैं केल्शियम की गोलियां
http://veerubhai1947.blogspot.in/तथा यहाँ भी ज़नाब -
veerubhai has left a new comment on your post "बीज रूप है प्रेम अभी":
ReplyDeleteवह प्रेम रसमय है, आनंद मय है, हमारी देह, मन बुद्धि, चित्त व अहंकार हैं तो सब उसी के आश्रय से लेकिन उससे बेखबर हैं, जैसे किसी की आँख पर चश्मा चढ़ा हो और वह उसे ही ढूंढ रहा हो.
भक्ति प्रगट हो तो जीवन का आनंद आये लेकिन उससे पहले प्रेम का निराकार स्वरूप तो मुखर हो .बढ़िया विचार गंगा .शुक्रिया . .कृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
शनिवार, 26 मई 2012
दिल के खतरे को बढ़ा सकतीं हैं केल्शियम की गोलियां
http://veerubhai1947.blogspot.in/तथा यहाँ भी ज़नाब -
Moderate comments for this blog.
खुबसूरत भाव भक्ति aur प्रेम का अद्भुत रूप
ReplyDeleteस्वयं में जो प्रेम छिपा है उसे जागृत करने का नाम ही भक्ति है.
ReplyDeleteप्रेम का अद्भुत रूप
आप सभी सुधी जनों का स्वागत व आभार!
ReplyDelete