मार्च २००३
आत्मनिर्माण करना है तो मन पर चौकीदार रखना होगा और उसके नाम से अच्छी चौकीदारी कौन कर
सकता है. परमात्मा का नाम अंतर को शुद्ध करता है और कितनी ही विघ्न-बाधाओं को पलक
झपकते हटा देता है. आत्मनिर्माण का अर्थ है आत्मा में रस का अनुभव करना, आत्म
साक्षात्कार इस पथ की मंजिल है. ज्ञान, ध्यान और अभ्यास के द्वारा धीरे-धीरे इसको
अनावृत करते जाना है और एक दिन वह सूर्य की तरह अपनी पूरी दिव्यता के साथ चमकती
है. उसके प्रकाश की झलक तो यात्रा के आरम्भ से ही मिलने लगती है. जीवन में उजाला
छा जाता है कार्य में रूचि बढ़ जाती है, परहित का ख्याल आने लगता है, परिवार में
सुख-शांति छाने लगती है और सब काम अपने आप सही समय पर होने लगते हैं. उसके इतने
सारे उपकार हैं हम पर, अंधकार में रास्ता खोजते व्यक्ति का हाथ पकड़ कर जैसे कोई
प्रकाश में ले आये, ज्ञान जीवन में हो वही जीवन जीवन है. हमें मुक्त करता है
ज्ञान, फूल सा हल्का बना देता है, सारी जंजीरें काट कर उसके समक्ष पहुँचा देता है.
सच कहा....तभी कहते हैं न की मुझे अँधेरे से प्रकाश की और ले चलो ।
ReplyDeletekhubsurat post jiwan ka anamol gyan aur sandesh deti,sudar.....
ReplyDeleteइमरान व रमाकांत जी, स्वागत व बहुत बहुत आभार !
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