Friday, April 19, 2013

नित नवीन सृष्टि का क्रम यह


जुलाई २००४ 
जीवन सभी प्राणधारियों में है, पेड़-पौधे, जीव-जन्तु सभी के भीतर चेतना है. जब हमें यह लगता है कि जानने योग्य सब जान लिया तब हम जड़वत हो जाते हैं. हमारे भीतर जब तक सीखने की प्रवृत्ति काम कर रही है, तभी तक हममें चेतना जागती रहती है. जीवन प्रतिपल नया है, जन्म से लेकर आजतक हर पल हमारे लिए नया है, हर दिन एक नया सूर्योदय लेकर आता है, हर सुबह एक नया  संदेश लेकर आती है. हर दिन कुछ नया सिखाने ही आता है. हमारी हर श्वास पहले वाली श्वास से भिन्न होती है. इसी तरह वह ब्रह्म भी जो नूतन ढंग लेकर हरेक से मिलता है, नित नवीन है, कोई उसे पूरी तरह से व्यक्त नहीं कर सकता, अथवा वह कब का पुराना पड़ गया होता. अनगिनत संतों, महात्माओं व भक्तों को उसका अनुभव हुआ है, पर सभी ने उसे अपने-अपने ढंग से बतलाया है. 

4 comments:

  1. जीवन प्रतिपल नया है,

    EK SHASHWAT SATY ....

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  2. ब्रह्म भी जो नूतन ढंग लेकर हरेक से मिलता है,
    बहुत सुन्दर ....और सार्थक ....
    आभार अनीता जी ....

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  3. बहुत सुन्दर ....

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  4. रमाकांत जी व अनुपमा जी, स्वागत और आभार !

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