Monday, June 10, 2019

एक साधना ऐसी भी हो



हम जीवन को सुख मानकर चलते हैं पर कदम-कदम पर हमारा सुख बाधित होता है. हमने मान लिया है कि धन में सुख है, यश में सुख है, इन्द्रियों की मांग पूरी करने में सुख है. किंतु जरा गहराई से देखें तो पता चलता है, यह सुख कितना क्षणिक है, इन सबकी प्राप्ति से पूर्व दुःख है, इनके खो जाने के भय में दुःख है. यदि हम यह मानकर चलें कि जिस जीवन से हम परिचित हैं, उसमें सुख नहीं है, तो दुःख मिलने पर हमें कोई धक्का तो नहीं लगेगा. दुःख को हम सहज रूप से स्वीकार कर लेंगे और हमारी ऊर्जा व्यर्थ ही उसका प्रतिरोध करने में नहीं लगेगी. एक बात और होगी, जिस जीवन में सचमुच सुख है क्या कोई ऐसा भी जीवन है, इसकी तलाश भी भी हमारे भीतर जगेगी. उसी तलाश का नाम साधना है, योग है. जिस सुख की प्राप्ति के पहले भी कोई दुःख न हो, जिसके खो जाने का भय भी न हो और जो शाश्वत हो ऐसा सुख केवल ध्यान के द्वारा ही मिल सकता है.

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