वर्तमान के लघु क्षण में विराट
छिपा है, जिसने ध्यान के इस राज को जान लिया, वह मुक्त है. मन सदा अतीत में ले
जाता है या भविष्य की कल्पना में. वर्तमान में आते ही मन मिट जाता है, उसे टिकने
के लिए कोई न कोई आधार चाहिए. वर्तमान का पल इतना छोटा है कि उसमें कोई शब्द नहीं
ठहर सकता. मन शब्द के सहारे ही जीवित रहता है. मौन का अनुभव वर्तमान का अनुभव है.
अतीत में जाकर कभी मौन को अनुभव नहीं किया जा सकता. मौन ही सत्य का अनुभव है. यदि
कोई इस क्षण में टिकना सीख ले तो वह ऊर्जा के परम स्रोत से जुड़ जाता है. ऊर्जा का
यह स्रोत प्रेम, आनंद और शांति का संगम है.
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