प्रकृति की ओर नजर डालें तो परमात्मा की असीम कृपा का बोध होता है. पंचभूत अहर्निश बांट
रहे हैं. सूर्य अपनी ऊष्मा से हमारी पृथ्वी को जीवन के योग्य बना रहा है, पृथ्वी
निरंतर भ्रमण करती हुई स्वयं को उसकी किरणें ग्रहण करने के लिए प्रस्तुत कर रही है.
हवाएं बादलों का निर्माण करती हैं, वृक्ष अन्न प्रदान करते हैं. विज्ञान के अनुसार
मानव के इस सृष्टि पर आने से पूर्व ही यह सारा आयोजन प्रकृति द्वारा कर दिया गया
था. परमात्मा ने स्वयं को पर्वतों, वनस्पति जगत, पंछियों और पशुओं के द्वारा अभिव्यक्त
करके अंत में मानव के रूप में अभिव्यक्त किया. मानव के आनंद के लिए ही विविधरंगी
फूलों और फलों का सृजन हुआ होगा. यदि कोई अपने भीतर जाकर स्वयं से मिले और फिर
पूछे, यहाँ किस लिए आये हो, तो सिवा एक मुस्कान के कोई उत्तर नहीं मिलेगा. संत
कहते हैं, मानव का इस जगत में आने का उद्देश्य स्वयं के भीतर उस आनंद स्वरूप
परमात्मा को अनुभव करना और फिर बाहर उस आनंद को लुटाना, इसके सिवा और क्या हो सकता
है.
सच मे और कुछ नही हो सकता।
ReplyDeleteवाह ! जौहरी की गति जौहरी जाने..स्वागत व आभार !
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