Saturday, September 17, 2016

चलें मूल की ओर

१७ सितम्बर २०१६ 
जीवन के लिए जो भी अति आवश्यक है, प्रकृति ने उसे सहज ही दिया है. हवा, पानी, धूप के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते. प्रातःकाल की शुद्ध वायु में भ्रमण, जब सूर्य की किरणें भी धरा का स्पर्श करती हों तथा जब भी सम्भव हो सके सागर, नदी अथवा खुले जल स्रोत के निकट शीतल जल का सान्निध्य, तन और मन को प्रफ्फुलित कर देता है. प्राणायाम के रूप में वायु एक औषधि भी है, जल और धूप भी प्राकृतिक चिकित्सा में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. आज शहरी सभ्यता के दुष्प्रभाव अनेक बीमारियों के रूप में हमारे सामने आ रहे हैं, जिनका समाधान प्रकृति के द्वारा   किया जा सकता है.    

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