कल देश का बहत्तरवाँ गणतंत्र दिवस है, कोरोना के कारण इस बार परेड में कुछ बदलाव हुए हैं, मुख्य अतिथि भी नहीं आ रहे हैं। राजधानी में किसानों के आंदोलन के कारण भी कुछ अनिश्चितता का वातावरण है। किन्तु कुछ भी हो, देश वासियों के दिलों में गणतंत्र दिवस मनाने का जोश उतना ही है। पिछले एक वर्ष में बहुत कुछ ऐसा हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ था, लंबा लॉक डाउन, मजदूरों की घर वापसी, कोरोना के कारण अस्पतालों में मरीजों की बेतहाशा भर्ती, आर्थिक मंदी, स्कूलों का बंद होना और भी कितनी कठिनाइयों को झेलते हुए यह पिछला वर्ष पूरी दुनिया के लिए एक चिंता की वजह छोड़ गया है। इन सबके बावजूद मानव आगे की ओर देख रहा है, वैक्सीन का निर्माण हो चुका है, कोरोना पर काफी हद तक नियंत्रण हो चुका है। भारत विश्व के कई देशों को इसकी वैक्सीन भेजने में सक्षम है, यह बात भी हमारे लिए कितने गर्व की है। एक बार फिर राजपथ पर सुंदर झाँकियाँ, बच्चों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा सैन्य बलों का प्रदर्शन एक बार फिर यह सिद्ध कर देगा कि आपदा चाहे कितनी भी भीषण क्यों न हो मानवता अपना मार्ग ढूंढ ही लेती है। अंधेरा कितना भी घना क्यों न हो उजाले को रोक नहीं सकता। बांग्ला देश की आजादी की स्वर्णजयंती के अवसर पर वहाँ का एक सैन्य बैंड भी गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेगा।