फरवरी २००३
भस्म-भूषित शिव सिखाते
एक दिन तुम राख होगे,
मुंड माला है गले में
कह रही तुम खाक होगे !
विष गले में थाम रखना
वाक् में माधुर्य झलके,
गंग धारा शीश धारे
शीतलता उर से ढलके !
स्वर्ग सा निर्मित हृदय
श्वेत हिम कैलाश जैसा,
चन्द्र मस्तक पर सुशोभे
भाव मधु औषधि जैसा !
शिव के मस्तक पर जो चन्द्रमा है वह
कहता है कि भीतर ज्ञान होने पर भी जहाँ कहीं से ज्ञान मिले, उसे ससम्मान मस्तक पर
धारण करना चाहिए. सर्पों को आपने आभूषण की तरह धारण करने वाले शिव कहते हैं कि
विषम परिस्थितियों को भी गले का हार बना लो. गले में मुंडमाला सदा अंत काल का स्मरण
बनाये रखने के लिये है. कैलाश पर वास बताता है कि मन की स्थिति ऊँची बनी रहे. औघड़
दानी है शिव हमें भी लुटाने की प्रेरणा देते हैं, वैसे भी एक दिन सब छूट ही जाने
वाला है.