Tuesday, June 4, 2024

यह दिल दीवाना है

वर्तमान युग में मानसिक अवसाद और तनाव के मामले बहुत बढ़ रहे हैं। यदि गहराई से देखें तो मन के सारे तनाव का मूल स्रोत व्यक्ति का असंतोष है। एक व्यक्ति सदा कुछ न कुछ और बनने की कोशिश करता रहता है। वह स्वयं जैसा है उसे स्वीकार नहीं करता, इसी कारण वह दूसरे के अस्तित्व को भी नकारता है।उसका मन  सदा किसी आदर्श स्थिति को पाने की कल्पना करता है। इसलिए तनाव सदा इस बात के कारण होता है कि वास्तव में वह क्या है और क्या बनना चाहता है।व्यक्ति के पास जो आज है, वह उससे क़तई खुश नहीं है और वह पाना चाहता है, जो नहीं है। मन का स्वभाव ही द्वंद्वात्मक है, मन स्वयं का विरोधी है।किसी भी बिंदु पर अपने स्वभाव के कारण मन एकमत नहीं होता। यह हमेशा बंटा हुआ होता है। अगर व्यक्ति मन की बात मानकर एक काम करता है तो मन का दूसरा हिस्सा कहता है, यह काम सही नहीं था। अगर वह इस हिस्से की बात सुने, तो दूसरा हिस्सा कहता है, यह  अस्थिरता ठीक नहीं है। मन न इस तरफ रहने देता है, न ही उस तरफ। व्यक्ति  अपने भीतर सदा एक सवाल का सामना करता है, और उसकी सारी शक्ति अपने भीतर के इस तनाव से स्वयं को बचाने में ही खर्च होती रहती है ।इस तनाव से बचाने का उपाय है, व्यक्ति स्वयं को जैसा वह है, पूर्ण रूप से स्वीकार करे। जब कोई ख़ुद को स्वीकारता है तभी दूसरों को भी, जैसे वे हैं, स्वीकार सकता है। इससे उसके भीतर बहुत सी ऊर्जा बच जाती है, जिसका उपयोग वह अपनी स्थिति में सुधार लाने के लिए कर सकता है। 


Saturday, June 1, 2024

भारत को आगे बढ़ना है

आज चुनाव का अंतिम दिन है, फिर प्रतीक्षा होगी परिणाम की। एक तरह से यह तय है कि अगली सरकार किसकी बनने वाली है। भारत जैसे महान और विशाल देश की सरकार भी मज़बूत व स्थिर होनी चाहिए। देश को आगे ले जाने में जितना हाथ सरकार का होता है, उतना ही नागरिकों का भी है, वे यदि अपने कर्त्तव्यों का पालन करेंगे तभी उनके अधिकारों की रक्षा हो पाएगी। यह नहीं भूलना चाहिए कि संविधान ने हमें अधिकारों के साथ कुछ कर्त्तव्य भी दिये हैं। देश में समस्याएँ अनेक हैं, लेकिन सबसे बड़ी जो समस्या है, वह भ्रष्टाचार की है। जो भी सदाचरण नहीं करता, वह दुराचरण कर रहा है, अर्थात उसका आचरण भ्रष्ट है। आज फ़ेक न्यूज़ का जमाना है, साइबर अपराध बढ़ रहे हैं। इनके लिए भी कड़ा क़ानून बनाना चाहिए। टीवी पर या सोशल मीडिया में जिस किसी को कोई भी झूठ फैलाने का अधिकार नहीं होना चाहिए। अदालतों  में झूठी गवाही देने वालों पर भी कदम उठाया जाना चाहिए। सड़कों  पर गंदगी फैलाने वाले, पेड़ काटने वाले, जल व विद्युत का अपव्यय करने वाले लोगों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए। आने वाली सरकार देश की उम्मीदों पर कितनी खड़ी उतरती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन देश के नेताओं को अब अगले पाँच वर्षों के लिए दलगत राजनीति से दूर रहकर भारत को आगे ले जाना का कार्य करना चाहिए।