मार्च २००५
‘उद्यमः भैरवः’ पुरुषार्थ के लिए हमें जो प्रयत्न करना है, वही
भैरव है. वही शिव है. शुभ कार्यों के लिए किया गया साधन परमात्मा का ही रूप है. हम
साधन तो करते हैं पर असाधन से नहीं बचते.
२३ घंटे ५९ मिनट तथा ५९ सेकेण्ड यदि हम साधन करें और एक सेकंड भी असाधन में लग गये
तो सारा साधन व्यर्थ हो जाता है. और यदि एक सेकंड ही साधन किया पर शेष समय असाधन न
किया तो वह साधन हमारे लिए हितकारी होगा. जप-पूजा करने के बाद भी यदि भीतर शांति
का अनुभव नहीं होता तो कमी साधन में नहीं बल्कि कारण हमारा असाधन है. संतजन कहते
हैं, यह सम्पूर्ण संसार एक ही सत्ता से बना है. वही ज्ञानी है, वही अज्ञानी है.
वही कर्ता है, वही भोक्ता है. हम साक्षी मात्र हैं. जाने-अनजाने सभी उसी ओर जा रहे
हैं. वही हमारा मार्ग दर्शक है वही हमारा ध्येय है. यह सारा संसार उसी की लीला के
लिए रचा गया है.