यह विचित्र युग है, आज इतिहास बन रहा है, आज से सौ वर्षों बाद इतिहास की किसी किताब में कोई पढ़ रहा होगा कि कोरोना-महामारी ने कैसे दुनिया को हैरान-परेशान कर दिया था. हवाई जहाज, रेल,बसें, कारें सभी थम गए थे और हजारों लोगों ने अपने प्राण गंवाए थे. इस महामारी का आर्थिक विश्लेषण भी किया जायेगा और राजनीतिक भी. वर्तमान में जो भी घट रहा है हम उसके साक्षी हैं, जो कोरोना के शिकार हुए हैं, जिनके परिवार का कोई सदस्य नहीं रहा, उनके दुःख का अंदाजा हम नहीं लगा सकते. जिनका रोजगार छिन गया, जिनके घर छूट गये, उनका दुःख तो समय के साथ कम हो जायेगा, किंतु उसका असर किसी न किसी रूप में बना ही रहेगा. स्थिति को सुधारने के लिए हममें से हरेक अपने तौर पर कुछ न कुछ मदद कर सकता है, और कुछ न भी कर सके घर में बने रहकर बीमारी से बच सकता है और अंततः औरों को बचा सकता है. जब ऊर्जा को बाहर जाने का कोई अवसर नहीं मिलता तो वह गतिशील होने के कारण भीतर ही तो जाएगी, आज हमें अवसर मिला है कुछ दिन अपने साथ रहने का, अपने भीतर जाने का. जीवन की इस उहापोह भरी स्थिति में जब बाहर कोई आधार नहीं मिलता हो तब भीतर के केंद्र को पाकर उसे आधार बनाकर हम जीवन के मर्म को समझ सकते हैं.
Sunday, March 29, 2020
Thursday, March 26, 2020
इक्कीस दिन की करें साधना
कोरोना का असर दुनिया भर में करोड़ों लोगों पर पड़ रहा है, लोग घरों में बन्द रहने को मजबूर हैं, वे बच्चों को व्यस्त रखने के लिए नई-नई तरकीबें सोच रहे हैं, आपस में खेल रहे हैं, फ़िल्में देख रहे हैं, तस्वीरें बना रहे हैं, तस्वीरें खींच रहे हैं, अच्छा सुस्वादु भोजन बना रहे हैं और सोच रहे हैं जल्दी ही ये इक्कीस दिन बीत जाएँ और सब कुछ सामान्य हो जाये. अख़बार भी बन्द है. कामवाली, माली, धोबी अब कोई भी तो नहीं आ रहा, सो कुछ समय तो घर की सफाई, बर्तनों की सफाई, पौधों की देखभाल और कपड़े धोने में निकल जाता है, कुछ समय आजकल और रिपब्लिक टीवी आदि पर कोरोना के ताजे समाचार देखने में. नवरात्रों का समय है तो कुछ समय सुबह-शाम पूजा पाठ में. इसके बाद भी समय बचता है, तो व्हाट्सएप पर मैसेज भेजने और फेसबुक पर लाइक करने में निकल जाता है. कोरोना ने कितनों के भीतर छुपी प्रतिभाओं को उभरने का मौका दिया है, कोरोना गीत, गजल, कविताएं और कहानियाँ यहां तक कि फिल्मों की स्क्रिप्ट तक लिखी जा रही है. सरकार भी सबके हित में काम कर रही है. यदि सभी देशवासी इस लॉक डाउन का पूरी तरह से पालन करते हैं तो दुनिया के सामने एक मिसाल कायम होगी और डॉक्टर्स बेशकीमती जानों को बचा पाएंगे.
Tuesday, March 24, 2020
घर में रहना जो सीखेगा
कोरोना वायरस जीवित नहीं है, इसलिए इसे मारा भी नहीं जा सकता. उसकी यही रणनीति उसे अजेय बना रही है कि आज सारा विश्व उससे भयभीत है. योग वशिष्ठ में एक दैत्य की कथा आती है जो मारा नहीं जा सकता था क्योंकि उसमें अपने होने का अहसास ही नहीं था, वह एक रोबोट की तरह अपने मालिक की आज्ञा का पालन मात्र कर रहा था. देवताओं को जब उसे मारने में असफलता ही मिल रही थी, तो उन्हें सुझाया गया, उस दैत्य में अहंकार पैदा करो, तभी वह मरेगा. कोविड -19 को जिन्दा करना हो तो उसे मानव देह में ही किया जा सकता है, लेकिन जैसे ही यह एक मानव के भीतर प्रवेश करता है, उसकी कोशिकाओं को खुद के लाखों और संस्करण बनाने के लिए अपहरण कर लेता है। एक और बात जो इसे भयावह बनाती है, रोगी को उसके प्रवेश का पता ही नहीं चलता क्योंकि कोई भी लक्षण नहीं मिलते, पर उसके पूर्व ही वायरस कई अन्य व्यक्तियों को अपना शिकार बना चुका होता है. यह वायरस पहले दो स्थानों को संक्रमित करता है, नाक और गला, फिर यह फेफड़ों में प्रवेश करता है, जहां यह कम आसानी से फैलता है लेकिन बहुत अधिक घातक होता है। जब यह नासिका या गले में रहता है, आसानी से खांसी या छींक द्वारा वातावरण में फ़ैल जाता है, लेकिन कुछ रोगियों में, यह फेफड़े के भीतर खुद को गहरा ले जा सकता है, जहां रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। इससे बचने का एकमात्र उपाय है कि हम संक्रमित व्यक्तियों के सम्पर्क में न आएं और न ही किसी को संक्रमित करें. इसके लिए घर में रहना ही सबसे कारगर उपाय है.
एक भोर फिर अनुपम होगी
आज समय जैसे ठहर गया है, आपदाएं पहले भी आती थीं, पर किसी दूसरे देश में, या किसी अन्य राज्य में, शेष जगह जीवन अपनी रफ्तार से चलता ही रहता था. सुनामी आयी, कई लोग प्रभावित हुए, शेष ने सहायता भी की, पर उस दर्द का अनुभव नहीं किया जो भुक्तभोगी कर रहे थे. लेकिन आज हमारी इस पृथ्वी पर कैसा संकट आया है जिससे कोई भी अछूता नहीं है, इतने सारे देशों में एक साथ एक वायरस ने आतंक फैला दिया है. किन्तु रात कितनी भी अँधेरी हो सवेरा होकर ही रहता है. यह समय जो आज ठहरा हुआ लग रहा है, एक दिन तरल होकर बहने लगेगा. जीवन फिर अपनी रफ्तार चलेगा, हाँ, एक अंतर होगा, शायद तब तक प्रकृति पहले से ज्यादा निर्मल हो जाये, वाहनों का प्रदूषण कम होगा, नदियों में रसायन नहीं बहेंगे. जंगल नहीं कटेंगे. मानव का चन्द हफ्तों का विश्राम प्रकृति के लिए वरदान बन सकता है. यह आपदा हमारे जीवन में अवश्य ही कुछ बदलाव देकर जाएगी, अवश्य ही हम इसमें से ज्यादा सबल होकर निकलेंगे.
Sunday, March 22, 2020
अंतर में वह ही बसता है
कोई भी आपदा या समस्या तभी हमला करती है जब तन-मन दुर्बल होता है. मानसिक और भावनात्मक रूप से स्वस्थ और सबल रहना आज हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता है. मृत्यु का भय हो या रोग का अथवा किसी भी कारण से मन में भय होगा तो शरीर रोग का मुकाबला नहीं कर पायेगा. एक न एक दिन तो सबको मरना ही है, जब तक जीवन है तब तक तो इसके हर पल को सही मायनों में हमें जीना है. सही मायनों में जीने का अर्थ है स्वयं के माध्यम से उस परम् शक्ति को प्रकट होने का अवसर देना. परमात्मा को सच्चिदानंद कहते हैं, अर्थ वह सत, चिद व आनंद स्वरूप है. सत का अर्थ है वह सदा है, हम सभी जानते हैं आत्मा शाश्वत है, सदा है, वह चेतन है और सदा आनंद स्वरूप है. हमें भी स्वयं की नश्वरता का अनुभव करते हुए अंतर के आनंद को प्रकट होने से बाधित नहीं करना है. यह बाधित होता है, सुबह से शाम तक नकारात्मक समाचार सुनने से, व्यर्थ के भय पालने से और व्यर्थ की बातचीत करने से, क्योंकि ज्यादातर लोग स्वयं भयग्रस्त होकर अन्यों को भी डराने का काम करते हैं. इसके विपरीत यदि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर कुछ देर ध्यान का अभ्यास किया जाये तो सहज ही भीतर की प्रसन्नता बाहर प्रकट होगी, और यह प्रकृति का नियम है जो हम बाहर भेजते हैं वही हमें लौट कर मिलता है. इस तरह हम अपने आसपास के वातावरण को भी प्रमुदित रख सकते हैं, साफ-सफाई का विशेष ध्यान भी रखना है और भोजन भी सुपाच्य हो तो किसी भी संक्रमण से हम स्वयं को बचा सकते हैं.
नियमित योग करेगा जो
कोरोना वायरस श्वास तन्त्र पर हमला करता है. फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने के लिए श्वास विधि को सीखना अति आवश्यक है. सभी जानते हैं कि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए भी प्राणायाम और योग आसन करने चाहिए. यदि किसी को सामान्य सर्दी-जुकाम बार-बार हो जाता है तो उसे भी अपने श्वसन तन्त्र को दृढ करने के लिए कपालभाति, भस्त्रिका और नाड़ी शोधन प्राणायाम नियमित करना चाहिए. भारत में पिछले कुछ वर्षों से योग का प्रसार जन-जन में हो गया है, बहुत बड़ी आबादी सुबह की शुरुआत योग की किसी न किसी साधना से करती है, सम्भव है यही कारण है कि भारत में अभी तक कोरोना के बहुत अधिक मामले नहीं हुए हैं, अभी भी इस पर नियंत्रण किया जा सकता है. यदि हम इस बात की गम्भीरता को समझें, स्वयं को संक्रमित होने से बचायें, नियमित योग साधना के द्वारा अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रखें. नियमित जीवन शैली, शुद्ध सात्विक आहार तथा ध्यान का अभ्यास करके अपने मनोबल को बनाये रखें तो हम न केवल स्वयं सुरक्षित रह सकते हैं बल्कि विश्व के सामने आदर्श समाज का एक उदाहरण भी प्रस्तुत कर सकते हैं.
Saturday, March 21, 2020
डट कर करें सामना सब मिल
जीवन में ऐसे क्षण आते हैं जब एकाएक सब कुछ बदल जाता है, आज यह घटना किसी एक के साथ नहीं सबके साथ घटी है, जी हाँ, सारे विश्व में हरेक के साथ. विकसित हो या अविकसित कोई देश इससे बचा नहीं है, अमीर या गरीब, लोकतंत्र या राजतन्त्र, छोटा या बड़ा, डॉक्टर या मरीज, जवान या वृद्ध कोई भी कोरोना वायरस के भय से बचा नहीं है. आज हम सबको एक परीक्षा का सामना करना है, मानव ने जीवन को, स्वास्थ्य को, अपने होने को अपना अधिकार मान लिया था, आज उसकी कीमत चुकानी है. हमें अगले कुछ सप्ताहों तक घरों से बाहर नहीं निकलना है, अपनी आवश्यकताओं को कम से कम करना है, ताकि आर्थिक मंदी का असर न हो, साथ ही हम उन लोगों की कुछ मदद कर सकें जो प्रतिदिन कमाते हैं और जिनका रोजगार इस बंदी के कारण खत्म हो गया है. हमें मानसिक रूप से सबल रहना है चाहे कितना ही लंबा समय हमें इस तरह गुजारना पड़े. योग, ध्यान, संगीत, पुस्तकों का अध्ययन और सकारात्मक चिंतन हमें स्वस्थ रहने में बहुत मदद कर सकते हैं. चीन में काफी हद तक कोरोना पर काबू पा लिया गया है, यदि हम भी सरकार व डॉक्टरों की हिदायतों का पालन करेंगे तो शीघ्र ही स्थिति में सुधार होगा.
Thursday, March 19, 2020
जब उत्तरदायित्व सभी निभाएं
कोरोना का खतरा जब तक खत्म नहीं हो जाता, हर नागरिक को अपनी भूमिका निभानी है. सरकार और डॉक्टर जो हिदायतें भी दे रहे हैं, वे हम सभी की सुरक्षा के लिए हैं. हमें इस माह के अंत तक अपने-अपने घरों में ही रहना है. सर्दी-जुकाम होने पर हेल्पलाइन नम्बर पर सुचना देनी है. यदि किसी विदेश यात्रा से लौटे हैं तो और भी सावधान रहना होगा. साफ-सफाई का ध्यान रखना है और जीवाणु नाशक साबुन का प्रयोग करना है. कोरोना के रोगी ठीक हो रहे हैं, शरीर के भीतर रोग प्रतिरोधक क्षमता यदि मजबूत है तो धैर्य के साथ इसका मुकाबला किया जा सकता है. ईश्वर न करे कि कोई इसकी चपेट में आये, यदि हम सुरक्षित रहेंगे तो अन्यों को भी सुरक्षित रखने में सहायता करेंगे. दुनिया भर में वैज्ञानिक इसका इलाज खोज रहे हैं, जल्दी ही इसका टीका भी खोज लिया जायेगा और मानवता को विनष्ट होने से बचा लिया जायेगा. कल शाम प्रधानमंत्री का देश के नाम संदेश सरकार की तरफ से उठाये जा रहे कदमों की ही एक अगली कड़ी थी. जनता कर्फ्यू के द्वारा तथा उन स्वास्थ्य कर्मियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करके हम एक जागरूक नागरिक के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं. हम्म से हरेक इस संघर्ष में एक सिपाही है, कुछ बाहर रहकर युद्धरत हैं तो कुछ को घर में रहकर अपनी भूमिका निभानी है. इस समय का सदुपयोग कैसे हो, कैसे इस संकट को पहले चुनौती मानकर फिर एक सुअवसर मानकर हम स्वयं कुछ नया कर सकते हैं, सीख सकते हैं, बच्चों को सिखा सकते हैं. जिन पुस्तकों को पढ़ने का समय नहीं मिला था, उन्हें पढ़ सकते हैं, जो स्वेटर अधूरा पड़ा है उसे पूरा कर सकते हैं. कहानियां सुना सकते हैं, पहेलियाँ बुझा सकते हैं, यानि घर में रहने को मजबूरी न मानकर एक सुअवसर मान सकते हैं. घर की सफाई कर सकते हैं.संक्षेप में कहें तो वह सब कुछ कर सकते हैं जो समय की कमी के चलते टालते आ रहे थे. देखते-देखते यह समय भी बीत जायेगा और एक सुबह फिर सामान्य होगी, बच्चे स्कूल जायेंगे, लोग दफ्तर जायेंगे और बाजार, मॉल आदि में पहले की भांति हलचल नजर आएगी.
Wednesday, March 18, 2020
जिस पल चेतेगा मानव
अखबारों में जिस खबर को हेडलाइन बनाया जा रहा है टीवी पर वही ब्रेकिंग न्यूज है, सोशल मीडिया पर जिसे प्रमुखता दी जा रही है फोन पर चर्चा का भी वही विषय है. अपने अब तक के जीवन में ऐसा न कभी देखा न सुना, जब एक न दिखने वाले दुश्मन से डर कर लोग घरों में बन्द हो गए हों. जो सक्षम हैं वे कुछ हफ्ते घर में बन्द रहकर भी आराम से समय बिता सकते हैं पर जिनका जीवन दैनिक रोजगार पर आधारित हो, वे काम न मिलने से कितने प्रभावित हो रहे होंगे. क्या आज यह सोचने की जरूरत नहीं है कि ऐसा क्यों हुआ, क्या यह मानव की नियति है अथवा उसके किसी कर्म का फल. महामारियां पहले भी फैलती रही हैं जब इलाज की इतनी सुविधाएँ नहीं थीं पर विज्ञान के इस युग में मानव का इस तरह विवश हो जाना कई गहरे प्रश्न उठाता है. आज नहीं कल कोरोना का इलाज ढूंढ लिया जायेगा और जल्दी ही यह भय का वातावरण खत्म हो जायेगा, किन्तु उन प्रश्नों के हल तलाशना फिर भी जरूरी है. मानव ने जंगलों को काटकर बस्तियां बनायीं,शाक-सब्जी, फल, दूध होते हुए भी जीव हत्या करके अपनी क्षुधा मिटाई. फैशन के लिए और अपनी शक्ति के प्रदर्शन के लिए भी निरीह पशुओं की हत्याएँ कीं. धरती का अनियमित दोहन किया, जल व हवा को दूषित किया, इतना करके भी स्वयं को प्रकृति का स्वामी समझकर कभी इन बातों के लिए स्वयं को दोषी नहीं माना, बल्कि विकास के नाम पर इन्हें बढ़ावा ही दिया. मनोरंजन के लिए लाखों लुटाने वाले जब यह भूल जाते हों कि उनके ही पड़ोस में कोई भूखा सोने को विवश है, उच्च शिक्षा के लिए करोड़ों देकर दाखिला लेने वाले जब यह न देखते हों कि किसी असमर्थ पर कुशाग्र विद्यार्थी की एक सीट वे ले रहे हैं. जब इतना अन्याय होता हो तो प्रकृति भी दूषित हो जाये इसमें क्या अस्वाभाविक है. काम, क्रोध, लोभ, हिंसा और अत्याचार के परमाणु जब वातावरण में बढ़ जाते हैं तो प्रकृति में हलचल होती है. आज लोग घरों में बैठे हैं तो कुछ चिंतन भी करते होंगे, सजगतापूर्वक कुछ समय स्वयं के साथ बिताकर हम अपने जीवन की नई दिशा के बारे में निर्णय ले सकते हैं. हमारा जीवन इस सुंदर ग्रह के लिए एक वरदान बने, हम इसके पोषक हों, शोषक नहीं.
Sunday, March 15, 2020
कोरोना भयभीत करो ना
आज विश्व एक विचित्र दौर से गुजर रहा है. कोरोना के खिलाफ सभी देश आपसी भेदभाव को भुला कर एक हो गये हैं. चीन से दिसंबर में हुई इसकी शुरुआत के बाद इटली, स्पेन और ईरान में कहर बरसाता हुआ यह वायरस भारत में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है. सरकार की तरफ से दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं. भीड़भाड़ वाले इलाकों से बचना है, रेल, बस या हवाई यात्रा करना सुरक्षित नहीं है. बंगलुरू में तो सभी शिक्षा संस्थान, मॉल, दफ्तर, सिनेमाघर आदि बंद कर दिए गए हैं. लोग घर से काम कर रहे हैं, बच्चे अभी से ग्रीष्मकालीन छुट्टियों का लुत्फ़ उठा रहे हैं. जीवन जैसे एकाएक बदल गया है. प्रधानमंत्री ने पड़ोसी देशों को इस अदृश्य शत्रु से लड़ने में हर तरह की सहायता देने का आश्वासन दिया है. इस महामारी के कारण कुछ फायदे भी हो सकते हैं. सड़कें खाली रहेंगी तो ट्रैफिक की समस्या नहीं होगी, प्रदूषण कम होगा. बच्चों को परीक्षाओं का भय नहीं सताएगा. लोग घरों में रहेंगे तो आपसी मेलजोल बढ़ेगा. घर पर भोजन बनाने की प्रथा पुनः जागृत होगी. साफ-सफाई का ध्यान रखा जायेगा, जीवन में शुचिता का सम्मान होगा. व्यायाम के प्रति भी लोग सचेत होंगे, जड़ी-बूटी से रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के नुस्खे पुनः काम में लाये जायेंगे. यदि हर कोई अपनी सुरक्षा का ध्यान रखे तो इस रोग से न केवल बचा जा सकता है, इसे फैलने से रोका जा सकता है.
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