कोरोना का असर दुनिया भर में करोड़ों लोगों पर पड़ रहा है, लोग घरों में बन्द रहने को मजबूर हैं, वे बच्चों को व्यस्त रखने के लिए नई-नई तरकीबें सोच रहे हैं, आपस में खेल रहे हैं, फ़िल्में देख रहे हैं, तस्वीरें बना रहे हैं, तस्वीरें खींच रहे हैं, अच्छा सुस्वादु भोजन बना रहे हैं और सोच रहे हैं जल्दी ही ये इक्कीस दिन बीत जाएँ और सब कुछ सामान्य हो जाये. अख़बार भी बन्द है. कामवाली, माली, धोबी अब कोई भी तो नहीं आ रहा, सो कुछ समय तो घर की सफाई, बर्तनों की सफाई, पौधों की देखभाल और कपड़े धोने में निकल जाता है, कुछ समय आजकल और रिपब्लिक टीवी आदि पर कोरोना के ताजे समाचार देखने में. नवरात्रों का समय है तो कुछ समय सुबह-शाम पूजा पाठ में. इसके बाद भी समय बचता है, तो व्हाट्सएप पर मैसेज भेजने और फेसबुक पर लाइक करने में निकल जाता है. कोरोना ने कितनों के भीतर छुपी प्रतिभाओं को उभरने का मौका दिया है, कोरोना गीत, गजल, कविताएं और कहानियाँ यहां तक कि फिल्मों की स्क्रिप्ट तक लिखी जा रही है. सरकार भी सबके हित में काम कर रही है. यदि सभी देशवासी इस लॉक डाउन का पूरी तरह से पालन करते हैं तो दुनिया के सामने एक मिसाल कायम होगी और डॉक्टर्स बेशकीमती जानों को बचा पाएंगे.
सार्थक आलेख।
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