आज समय जैसे ठहर गया है, आपदाएं पहले भी आती थीं, पर किसी दूसरे देश में, या किसी अन्य राज्य में, शेष जगह जीवन अपनी रफ्तार से चलता ही रहता था. सुनामी आयी, कई लोग प्रभावित हुए, शेष ने सहायता भी की, पर उस दर्द का अनुभव नहीं किया जो भुक्तभोगी कर रहे थे. लेकिन आज हमारी इस पृथ्वी पर कैसा संकट आया है जिससे कोई भी अछूता नहीं है, इतने सारे देशों में एक साथ एक वायरस ने आतंक फैला दिया है. किन्तु रात कितनी भी अँधेरी हो सवेरा होकर ही रहता है. यह समय जो आज ठहरा हुआ लग रहा है, एक दिन तरल होकर बहने लगेगा. जीवन फिर अपनी रफ्तार चलेगा, हाँ, एक अंतर होगा, शायद तब तक प्रकृति पहले से ज्यादा निर्मल हो जाये, वाहनों का प्रदूषण कम होगा, नदियों में रसायन नहीं बहेंगे. जंगल नहीं कटेंगे. मानव का चन्द हफ्तों का विश्राम प्रकृति के लिए वरदान बन सकता है. यह आपदा हमारे जीवन में अवश्य ही कुछ बदलाव देकर जाएगी, अवश्य ही हम इसमें से ज्यादा सबल होकर निकलेंगे.
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