मई २००३
ज्ञान वही है जो वक्त पर काम आये, नहीं तो मस्तिष्क पर बोझ डालने जैसा ही है. जो
वस्तु, व्यक्ति व परिस्थिति को को नहीं स्वीकारते, वही दुखी होते हैं, जो मुसीबत
आने पर मुस्कान से किनारा कर लेते हैं, वे कहाँ तत्व को जान पाए. जब ज्ञान के अवसर
का उपयोग आये तब हम अक्सर चूक जाते हैं. अध्यात्म की दुनिया अनंत है, उसमें कोई
सीमा हो ही नहीं सकती. वह मुक्त करती है. आत्मा की शक्ति का परिचय हमें इसी दुनिया
में मिलता है. वह दुनिया इसी दुनिया में है, बल्कि यह दुनिया, यह छोटा सा जगत उस
अनंत दुनिया में समाया है. हमें तो बंधन पसंद है सो उस अनंत दुनिया से हम वास्ता
नहीं रखते. पर जब बंधन बोझ लगने लगे, कोई पूर्व पुण्य उदय हो जाये, कृपा हो जाये
तो उस अनंत दुनिया के द्वार हमारे लिये खुलने लगते हैं.