गुरु व ज्ञान पर्यायवाची शब्द हैं, यदि ऐसा कहें अतिशयोक्ति नहीं होगी। गुरु का हर शब्द गहरे चिंतन-मनन के बाद हुए दर्शन से प्रकटता है। वह जीवन की गुत्थियों को पल में हल कर देता है। चीजें उनके आगे अपने गुहतम स्वरूप में प्रकट होती हैं। शास्त्र उनके ही वचनों से बने हैं। वे ईश्वर के प्रतिनिधि हैं। ईश्वर ने हमें सिरजा है, वह इस जगत का आधार है, वह नहीं चाहता कि आनंद स्वरूप बनाने के बाद मानसिक दुख की हल्की सी रेखा भी हमें छू जाये। वह भीतर से हमें प्रेरित करता है और गुरुज्ञान का अधिकारी बनाता है। मानव को जब अपने अंतर में प्रकाश का अनुभव होता है तो उसे जगत ढक न ले, इसकी व्यवस्था गुरु सिखाता है। नियमित साधना, श्रवण तथा मनन का अभ्यास ही समरसता को बनाये रखने में सहायक है।
Wednesday, September 20, 2023
Tuesday, September 5, 2023
कृष्ण जन्माष्टमी पर हार्दिक शुभकामनाएँ
शिक्षक दिवस पर शुभकामनाएँ
सृष्टि में ज्ञान के आदान-प्रदान का क्रम आदि काल से चला आ रहा है।सर्वप्रथम आदिगुरु शिव ने ऋषियों को जगत का ज्ञान दिया था। इसके बाद ब्रह्मा ने प्रजापति को ज्ञान दिया जिसके द्वारा मनुष्यों के सुखद जीवन के लिए नियम आदि बनाये गये। जब बच्चा जन्म लेता है, उसे कुछ भी बोध नहीं होता, माँ उसकी पहली गुरु होती है। इसके बाद विद्यालय में वह जीवन के लिए आवश्यक ज्ञान प्राप्त करता है। शिक्षक और विद्यार्थियों के मध्य जो संबंध है, उसकी मिसाल किसी से नहीं दी जा सकती। यह रिश्ता बहुत अनोखा है जिसमें दोनों तरफ़ से निःस्वार्थ प्रेम की एक धारा बहती है। एक शिक्षक अपने जीवन में अनेक विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं, पर उनका उत्साह और प्रेम कभी चुकता नहीं।वे सदा-सर्वदा उनका हित चाहते हैं। विद्यार्थी उन्हें अपना आदर्श मानते हैं, उनकी वाणी पर अटूट विश्वास करते हैं। उनका स्नेह भरा मार्गदर्शन जीवन भर साथ रहता है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसे अपने प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों का नाम याद नहीं है। आज उन सभी शिक्षकों को प्रणाम करने का दिन है, जिनसे कभी न कभी हमने शिक्षा ग्रहण की है।