सृष्टि में ज्ञान के आदान-प्रदान का क्रम आदि काल से चला आ रहा है।सर्वप्रथम आदिगुरु शिव ने ऋषियों को जगत का ज्ञान दिया था। इसके बाद ब्रह्मा ने प्रजापति को ज्ञान दिया जिसके द्वारा मनुष्यों के सुखद जीवन के लिए नियम आदि बनाये गये। जब बच्चा जन्म लेता है, उसे कुछ भी बोध नहीं होता, माँ उसकी पहली गुरु होती है। इसके बाद विद्यालय में वह जीवन के लिए आवश्यक ज्ञान प्राप्त करता है। शिक्षक और विद्यार्थियों के मध्य जो संबंध है, उसकी मिसाल किसी से नहीं दी जा सकती। यह रिश्ता बहुत अनोखा है जिसमें दोनों तरफ़ से निःस्वार्थ प्रेम की एक धारा बहती है। एक शिक्षक अपने जीवन में अनेक विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं, पर उनका उत्साह और प्रेम कभी चुकता नहीं।वे सदा-सर्वदा उनका हित चाहते हैं। विद्यार्थी उन्हें अपना आदर्श मानते हैं, उनकी वाणी पर अटूट विश्वास करते हैं। उनका स्नेह भरा मार्गदर्शन जीवन भर साथ रहता है। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसे अपने प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों का नाम याद नहीं है। आज उन सभी शिक्षकों को प्रणाम करने का दिन है, जिनसे कभी न कभी हमने शिक्षा ग्रहण की है।
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