२० अक्तूबर २०१६
जीवन का कैनवास कितना विशाल है, इसका आयाम अनंत तक फैला है. हमारा
छोटा सा जीवन असीम सम्भावनाएं छिपाए है. मानव व्यर्थ ही स्वयं को देहों के छोटे-छोटे
घरोंदों में कैद मानकर, मान्यताओं व धर्मों की दीवारों में बंट जाता है, और अपनी ऊर्जा
व्यर्थ के कर्मों में लगा देता है. जब कि आकाश अपने अनदेखे हाथ हमारे सिरों पर रखे
झांक रहा है. इस रंगमंच पर घटते हुए दृश्य की साक्षी धरा भी है. जीवन जो अपने
शुद्धतम रूप में हर कहीं है, मानव देह में अपनी पूरी क्षमता के साथ प्रकट हुआ है.