Sunday, May 21, 2023

जीवन जब उपहार बनेगा

हम ध्यान अर्थात् भीतर जाकर विचार करने से घबराते हैं, ऐसे विचारों से जो हमारे भीतर की कमियों को उजागर करते हैं. हम उस दर्पण में देखना नहीं चाहते जो हमें कुरूप दिखलाये तभी कठिन विषयों से भी हम घबराते हैं, जो हम जानते हैं वह सरल है पर उसी को पढ़ते-गुनते रहना ही तो हमें आगे बढ़ने से रोकता है. जब कोई हमें अपमानित करता है तब वह हमारा निकष होता है, प्रभु से प्रार्थना है कि वह उसे हमारे निकट रखे ताकि हम वही न रहते रहें जो हैं बल्कि बेहतर बनें. स्वयं की प्रगति ही जगत की प्रगति का आधार है, हम भी तो इस जगत का ही भाग हैं. हम यानि, देह, मन, बुद्धि। आत्मा तो पूर्ण है उसी को लक्ष्य करके आगे बढ़ना है.  उसी की ओर चलना है चलने की शक्ति भी उसी से लेनी है. आत्मा हमारी निकटतम है हमारी बुद्धि यदि उसका आश्रय ले तो वह उसे सक्षम बनाती है अन्यथा उद्दंड हो जाती है. आत्मा का आश्रित होने से मन भी फलता फूलता है, प्रफ्फुलित मन जब जगत के साथ व्यवहार करता है तो कृपणता नहीं दिखाता समृद्धि फैलाता है. जीवन तब एक शांत जलधारा की तरह आगे बढ़ता जाता है. तटों को हर-भरा करता हुआ, प्यासों की प्यास बुझाता हुआ, शीतलता प्रदान करता हुआ, जीवन स्वयं में एक बेशकीमती उपहार है, उपहार को सहेजना भी तो है.   

Saturday, April 22, 2023

कृतज्ञता का भाव जगे जब

भोर से रात तक  धन्यवाद देने, कृतज्ञ होने के अनेक अवसर हमें प्राप्त होते हैं। उठते ही सबसे पहले एक और नये दिन में आँखें खोलने का अवसर देने के लिए अस्तित्त्व का आभार ! परिवार साथ है,  सिर पर छत है, देश में शांति है, इसके लिए भी ईश्वर का आभार !  आहार के लिए किसानों व दुकानदारों का, आजीविका  देने के लिए  सरकार या उद्योग पतियों का कृतज्ञ होना भी ज़रूरी है। वर्तमान काल में सोशल मीडिया का, जिस पर अपनी बात रखी जा सकती है, औरों की सुनी जा सकती है। न्याय पालिका,  शासन व्यवस्था, सेना, लेखकों, पत्रकारों आदि उन सभी का धन्यवाद किया जा सकता है, जो हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं।  रिश्तेदारों, मित्रों, जान-पहचान के लोगों और बच्चों के प्रति जब मन में कृतज्ञता का भाव बना रहे तो मन फूल सा हल्का रहता है। जहां धन्यवाद नहीं वहाँ शिकायत घेर लेती है । नकारात्मक भाव आते ही मन एक चक्र में फँस जाता है। तब यह भी याद नहीं रहता कि शिकायत किसके प्रति है। कृतज्ञता का भाव मन की गहराई से आता है, जो अनंत से जुड़ी है। शिकायत मन की ऊपरी सतह से आती है, जो हमें अस्त-व्यस्त कर देती है। 


Thursday, April 20, 2023

सच की राह चले जो धीर

श्वास एक भी व्यर्थ न जाये, काम किसी के आये, 

गुरु की वाणी है अनमोल, पग-पग राह दिखाए ! 

समय तब व्यर्थ जाता है जब हम दुनियादारी में फँसकर अपने सच्चे  स्वरूप की स्मृति को भुला देते हैं।सही-ग़लत में भेद करना छोड़ देते हैं। समाज में चल रहे ग़लत रीति-रिवाजों को सही न मानते हुए भी उनमें अपना मूक समर्थन देते रहते हैं। किसी न किसी को खुश करने के लिए ऐसी बातें भी मान लेते हैं, जिनके प्रति हमारा ह्रदय गवाही नहीं देता। हम अन्याय का प्रतिकार नहीं करते, ताकि ऊपरी सुख-शांति बनी रहे, चाहे गहराई में असंतुष्टि बनी रहे। जीवन चाहता है हम प्रामाणिक बनें। सत्यवान हों, चाहे उसके लिए कितने ही विरोधों का सामना क्यों न करना पड़े।


Sunday, April 16, 2023

स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है

आज़ादी की क़ीमत पर जगत का कोई भी वैभव व्यर्थ है। आज़ादी का अर्थ क्या है ? स्वयं को एक ऐसा अनुशासन देकर जीना, जिससे खुद का या किसी अन्य का कोई अहित न होता हो। क्रोध से स्वयं का अहित होता है तथा वातावरण में भी हिंसा के परमाणु फैलते हैं। इसलिए यदि कोई आज़ादी के नाम पर हिंसा करता है तो वह सच्ची आज़ादी नहीं है। यहाँ योग के अनुशासन का पहला अंग ही भंग हो गया।मन का विश्राम भी भंग हो गया, मन सरल नहीं रहा, जटिल हो गया। यदि क्रोध करने के बाद भीतर पश्चाताप जगा तो संतोष नहीं रहा। स्वाध्याय और तप  के द्वारा यदि कोई खुद को इस स्थिति का साक्षी मानकर देखे तो उसके जीवन में ध्यान घटित हो सकता है। भक्त के लिए ईश्वर की शरण में जाना सर्वोत्तम उपाय है। उसमें स्वयं को छोड़ देने का अर्थ है मन के पार जाकर उस एक तत्व से एकत्व महसूस करना, यही सच्ची आजादी या स्वतंत्रता है ।

Thursday, April 6, 2023

ज़िंदगी इक सफ़र है सुहाना

जीवन एक यात्रा है, इसका अर्थ हुआ कि इस यात्रा का कोई उद्देश्य भी होगा और कोई लक्ष्य भी अवश्य होगा। जैसे यदि हमें कश्मीर की यात्रा पर जाना है तो हमारा लक्ष्य है कश्मीर और उद्देश्य है कश्मीर की सुंदरता को देखकर आनंदित होना।यदि हमारे जीवन का उद्देश्य भी इस जगत की सुंदरता को देखकर आनंदित होना बन जाए तो लक्ष्य तो पहले से ही प्राप्त हो चुका है, अर्थात हम मानव जन्म लेकर इस धरती पर आ चुके हैं। अब जैसे कश्मीर की यात्रा में हमें सहयात्री भी मिलेंगे, जिनसे हम प्रसन्न होकर बात करेंगे; कुछ बाधाएँ भी आ सकती हैं, जिन्हें यात्रा में आने वाली छोटी-मोटी दिक़्क़त समझकर हम नज़र अंदाज़ कर देंगे। जीवन की इस यात्रा में भी हमें परिवार, मित्र, समाज के रूप में सहयात्री मिलते हैं। कभी कोई कष्ट भी सहने पड़ते हैं। इनके बावजूद यदि हम अपना उद्देश्य सदा याद रखें तो हर पल आनंद का अनुभव कर सकते हैं। कश्मीर की यात्रा से हमारे कारण कुछ लोगों का रोज़गार चलेगा और हमारा ज्ञान बढ़ेगा, सहनशक्ति बढ़ेगी और देश में विभिन्न राज्यों के लोगों में भाईचारा और आपसी विश्वास भी बढ़ेगा। ऐसे ही जीवन में हमारा अल्पकाल का वास दूसरों के लिए लाभ का कारण बने, समाज में प्रेम का संदेश फैले, और हमारा व्यवहार ऐसा हो कि आपसी विश्वास को ठेस न पहुँचे तो आनंद पाने का हमारा उद्देश्य सहज ही पूर्ण हो जाएगा। 


Friday, March 31, 2023

प्रेम गली अति सांकरी

प्रेम गली अति सांकरी जामे दो न समाए’ जीवन में यदि द्वंद्व है तो दुःख रहेगा ही. द्वैत का शिकार होते ही मन द्वेष करता है, थोड़ी सी भी नकारात्मकता  अथवा आग्रह उसे समता की स्थिति से डिगा देता है. भीतर जब एक समरसता की धारा बहेगी, तब शांति तथा आनन्द फूल की खुशबू की तरह अस्तित्व को समो लेंगे. आकाश से बहती जलधार जब धरा को सराबोर करती है तो उसका कण-कण भीग जाता है, इसी तरह भीतर जब समता का अमृत स्रोत खुल जाता है तो प्रेम व आनन्द की धारा बहती है. मन का ठहराव ही आत्मा की जागृति है. आत्मा में स्थित होकर जीने का ढंग यदि सध जाये तो कुछ अप्राप्य नहीं है। हमारा भीतर जब तक बिगड़ा है, बाहर भी बिगड़ा रहेगा. झुंझलाहट, अहंकार, कठोर वाणी, ये सारे अवगुण बाहर दिखाई देते हैं पर इनका स्रोत भीतर है, भीतर का रस सूख गया है, समता का पानी डालने से भक्ति की बेल हरी-भरी होगी फिर रसीले फल लगेंगे ही. संसार का चिन्तन अधिक होगा तो उसी के अनुपात में तीन ताप भी अधिक जलाएंगे. प्रभु का चिन्तन होगा तो माधुर्य, संतोष, ऐश्वर्य तथा आत्मिक सौन्दर्य रूपी फूल खिलेंगे. कितना सीधा-सीधा हिसाब है. 


Thursday, March 23, 2023

कर्ता भाव से मुक्त हुआ जो

जब हम घटनाओं के साक्षी बन जाते हैं, तो मुक्ति का अहसास  सहज ही होता है। हम सभी ने यह अनुभव किया है। कई बार हम क्रोध करना नहीं चाहते थे लेकिन किसी बात से क्रोधित हो गए और खुद पर आश्चर्य हुआ।यह क्रोध हमारे भीतर संस्कार रूप से मौजूद था और जब तक वह संस्कार बना रहेगा, हमारे न चाहने पर भी क्रोध आएगा। सुबह से रात्रि तक इस सृष्टि में सब कुछ हो रहा है।कोई उन्हें  कर नहीं रहा है। कोई चित्रकार किसी दिन एक चित्र बना लेता है और कवि किसी दिन बहुत अच्छी कविता लिखता है। उनसे कोई पूछे, तो वे आश्चर्य करते हैं कि यह कैसे हुआ! उनके मन की गहराई में वे सब मौजूद है, जो उचित समय आने पर व्यक्त हो जाता है । जीवन ने हमें कदम-कदम पर सिखाया है कि यहाँ सब कुछ हो रहा है। हम कर्ता नहीं हैं। बड़े से बड़ा अपराधी भी कहता है, उसने अपराध नहीं किया, किसी क्षण में यह उससे हो गया। सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि मनुष्य अब भी इसे कैसे नहीं देख पाता कि वह कई कार्य स्वभाव वश ही करता है ! मनुष्य सोचता भर है कि वह स्वयं निर्णय लेकर रहा है। कोई कह सकता है कि यदि उसने प्रयास न किया होता तो उसके जीवन में वह सब न होता जो आज है। पर जीवन में हमें जहाँ जन्म मिला, जैसे परिस्थितियाँ मिलीं, उनमें हमारा क्या हाथ था, हमारे पास उस स्थिति में वही प्रयास करने के अलावा कोई अन्य विकल्प ही नहीं था। किन्हीं कारणों हमारा जीवन एक विशेष दिशा ले ले लेता है और उस दिशा में बहने लगता है।