Tuesday, January 12, 2021

जीवन का अधिकार सभी को

 जीवन की कितनी ही परिभाषाएँ दार्शनिकों और साहित्यकारों तथा अनेकों ने दी हैं. कोई इसे यात्रा कहता है तो कोई घटनाओं का एक क्रम। कोई कहता है जीवन सीखने का नाम है, आगे बढ़ने का नाम है. किसी ने यह भी कहा है कि जीवन एक पुस्तक है जिसे पढ़ना सदा ही शेष रहता है. आज तक हमारे जीवन में जो भी घटा है वह अनुभूत हो चुका है किन्तु अगले ही पल क्या होने वाला है, कोई नहीं जानता। जीवन की पुस्तक का अगला पन्ना जब खुलेगा तभी उसे पढ़ सकते हैं. वैज्ञानिक और भविष्यवक्ता अवश्य पूर्वानुमानों के आधार पर अवश्य कुछ सुझाव देते रहते हैं, पर हम उन पर ज्यादा ध्यान नहीं देते. जलवायु परिवर्तन और महामारियों के बारे में भी पहले कितनी ही बार सचेत किया गया है, किन्तु इक्कीसवीं सदी में भी विकसित देश युद्ध और हथियारों में धन लगाना ज्यादा आवश्यक समझते रहे हैं. आवश्यकता है कि सभी देश आपसी विवादों को सुलझाकर पूरी धरती को एक परिवार मानकर हरेक को सम्मान से जीने का अधिकार दें, क्योंकि  आज के हालातों में विश्व का कोई भी देश अपने बलबूते पर किसी समस्या का सामना नहीं कर सकता. 


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