एक पुष्प का जीवन भी तो
पंच तत्वों से ही बना है। धरती ने उसे आधार दिया। जल तथा सूर्य की किरणों ने आहार दिया।
पवन के झोंकों ने प्राण दिए तथा प्रेम से सहलाया, हिलाया-डुलाया। गगन में वह विस्तार पाता है, यदि
इनमें से कोई एक भी न हो तो फूल की यात्रा अधूरी ही रह जाएगी। फूल का एक नाम है सुमन
अर्थात ऐसा मन जो फूल के समान खिला हो या सुंदर हो ! जो मन धरा से जुड़ा है अर्थात सहनशील
व धैर्यवान हो, जल की भांति गतिमान हो, प्रकाश की भांति सदा आगे ही बढ़ने का संकल्प
जिसमें हो, गगन की भांति सबको अपने भीतर समेटने की क्षमता रखता हो, पवन की नाईं उसका परस औरों के लिए सुखदाई हो और जीवन का पोषक
हो। किसी मीरा या कबीर का ऐसा सु-मन ही फूल की तरह परम के चरणों में चढ़ाए जाने योग्य
है।
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