Monday, March 17, 2025

आभारी हो मन यह प्रतिपल

जीवन में धन का अभाव हो या किसी भी और बात का, फिर भी उतनी हानि नहीं उठानी पड़ती जितनी हानि तब होती है जब मन में कृतज्ञता का अभाव हो। कृतघ्न व्यक्ति से ख़ुशी ऐसे ही दूर भागती है जैसे सिपाही को देखकर चोर। मानव रूप में जन्म मिला है, तो ईश्वर के प्रति इतनी कृतज्ञता हमारे मन में होनी चाहिए मानो कोई अनमोल ख़ज़ाना मिल गया हो। न जाने कितनी योनियों से गुजर कर हम आये हैं, चट्टान से वनस्पति, कीट, पक्षी, पशु होते हुए मानव का मस्तिष्क मिला है। इसके बाद माता-पिता के प्रति कृतज्ञता का पौधा मन में उगाना चाहिए जो कभी न सूखे, इसके लिए उसमें सदा ही स्नेह व आदर  का जल डालते रहना होगा। यदि जीवन में उत्साह और उमंग का आगमन निर्विरोध चाहिए तो अपने परिवार के प्रति, पति-पत्नी और बच्चों के प्रति कृतज्ञता जताने का कोई अवसर छोड़ना नहीं चाहिये। अपने शिक्षकों, गुरुजनों, लेखकों, और शासकों के प्रति भी हमें कृतज्ञ होना है। किसानों और व्यापारियों के लिए और समाज के हर उस व्यक्ति के प्रति कृतज्ञ होना है, जिसने हमारे जीवन को सरल और सुंदर बनाने में कोई न कोई योगदान दिया है।