Monday, April 30, 2012

आशुतोष जय शिव शम्भु


फरवरी २००३ 

भस्म-भूषित शिव सिखाते
एक दिन तुम राख होगे,
मुंड माला है गले में
कह रही तुम खाक होगे !

विष गले में थाम रखना
वाक् में माधुर्य झलके,
गंग धारा शीश धारे
 शीतलता उर से ढलके !

स्वर्ग सा निर्मित हृदय 
श्वेत हिम कैलाश जैसा,
चन्द्र मस्तक पर सुशोभे
भाव मधु औषधि जैसा ! 
शिव के मस्तक पर जो चन्द्रमा है वह कहता है कि भीतर ज्ञान होने पर भी जहाँ कहीं से ज्ञान मिले, उसे ससम्मान मस्तक पर धारण करना चाहिए. सर्पों को आपने आभूषण की तरह धारण करने वाले शिव कहते हैं कि विषम परिस्थितियों को भी गले का हार बना लो. गले में मुंडमाला सदा अंत काल का स्मरण बनाये रखने के लिये है. कैलाश पर वास बताता है कि मन की स्थिति ऊँची बनी रहे. औघड़ दानी है शिव हमें भी लुटाने की प्रेरणा देते हैं, वैसे भी एक दिन सब छूट ही जाने वाला है.  


8 comments:

  1. shiv ek prerna hai manav matr ke liye

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  2. शिव के मस्तक पर जो चन्द्रमा है वह कहता है कि भीतर ज्ञान होने पर भी जहाँ कहीं से ज्ञान मिले, उसे ससम्मान मस्तक पर धारण करना चाहिए. सर्पों को आपने आभूषण की तरह धारण करने वाले शिव कहते हैं कि विषम परिस्थितियों को भी गले का हार बना लो. गले में मुंडमाला सदा अंत काल का स्मरण बनाये रखने के लिये है. कैलाश पर वास बताता है कि मन की स्थिति ऊँची बनी रहे. औघड़ दानी है शिव हमें भी लुटाने की प्रेरणा देते हैं, वैसे भी एक दिन सब छूट ही जाने वाला है. bahut sukun mila is satya se

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  3. एक दिन सब छूट ही जाने वाला है.

    ॐ नम. शिवाय

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  4. शिव के पैरहन की इतनी बढ़िया प्रतीकात्मक व्याख्या पढके मन गद गद हो गया .आपका बहुत बहुत आभार .ॐ शान्ति .

    कृपया यहाँ भी पधारें
    सोमवार, 30 अप्रैल 2012

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    रविवार, 29 अप्रैल 2012

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    डायरी के पन्नों से

    जो पढ़ा, सुना व गुना !
    Monday, April 30, 2012

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  5. बहुत सुन्दरता से शिवजी के श्रृंगार का वर्णन किया है आपने..

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  6. नमस्कार. आपकी डायरी पढ़ी. अच्छा लगा. शुकून भरे पल बिताने के लिए एक जगह मिल गयी. धन्यबाद.

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    1. आभार ! आगे भी आते रहें..

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  7. मैम ! आपकी यह रचना मैंने यु एस अपनी बेटी को मेल की है .आभार आपका इस उत्कृष्ट कृति के लिए कृपया यहाँ भी पधारें -

    सोमवार, 30 अप्रैल 2012
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