Monday, November 28, 2016

मिलकर भी जो मिले कभी न


 परमात्मा उनकी नजरों से छुपा रहता है जो उसे ढूंढते ही नहीं, जो उसकी याद में अश्रु बहाते  हैं उन्हें तो वह मिला ही हुआ है. रात-दिन वह उन्हें राह दिखाता  है जिनके भीतर  उसके प्रेम का दीपक जलता रहता है. जिन्होंने उस अनदेखे परमात्मा से रिश्ता बना लिया है, जिनके भीतर प्रीत की अग्नि निरंतर जलती रहती है. जो उसके दर  पर आकर झुक जाते हैं उन्हें वह तत्क्षण मिल जाता है और जो तनकर खड़े रहते हैं उनके लिए वह बेगाना ही बना रहता है. यूँ तो सभी उसकी कृपा के अधिकारी हैं पर वह किसी पर अपना अधिकार नहीं जताता, पूर्ण स्वतन्त्रता देता है. आश्चर्य तो तब होता है जब जिन्हें वह मिल जाता है उन्हें भी न मिलने का भरम बना ही रहता है और एक मधुर सी तलाश सदा ही चलती रहती है. 

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