Thursday, August 9, 2018

स्वयं के निकट रहेगा जो


१० अगस्त २०१८ 
मन सकारात्मक हो तो समस्या को नहीं उसके पीछे छिपे हल को देखता है, और नकार से भरा हो तो समस्या इतनी बड़ी दिखाई देती है कि स्पष्ट नजर आता हुआ हल भी उसे दिखाई नहीं पड़ता. जितना-जितना हम अपने केंद्र के नजदीक होते हैं, ज्ञान से जुड़े रहते हैं, परिधि पर आते ही मन डोलने लगता है, उसे हानि-लाभ की चिंता सताने लगती है. वह अपने सिवा कुछ और देख ही नहीं पाता. आज समाज में जो इतनी असंवेदनशीलता है, उसका कारण है कि हम स्वयं से बहुत दूर निकल आये हैं. केंद्र पर स्थिरता है, वहाँ आश्वासन है, भरोसा है, विश्वास है. वहाँ से परमात्मा निकट है. मन्दिरों में बढ़ती भीड़ इस बात को नहीं दर्शाती कि लोग ज्यादा धार्मिक हो गये हैं, बल्कि इस बात को ही दिखाती है कि लोगों का भरोसा स्वयं से उठ गया है. उनके घरों में रहने वाले कुल देवताओं से उठ गया है. परमात्मा के प्रति आस्था तभी हो सकती है, जब मन में शुभता के प्रति, सत्य के प्रति आस्था हो.

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