Thursday, August 22, 2019

पहला सुख निरोगी काया



'पहला सुख निरोगी काया', हम यह शब्द बचपन से सुनते आये हैं. मानव देह परमात्मा की बनाई सुंदर कृति है, जो सौ वर्ष तक जीव का साथ दे सकती है. आयुर्वेद के अनुसार प्राकृतिक नियमों का पालन करते हुए जीवन जीने से मानव सहजता पूर्वक स्वास्थ्य व दीर्घायु प्राप्त कर सकता है. स्वस्थ रहने के उपाय भी हर कोई अपनी क्षमता के अनुसार करता है फिर भी कभी न कभी देह अस्वस्थ होती है. जिसका पहला कारण है हमारी जीवन प्रणाली. सुख-सुविधाओं के साधन बढ़ने के कारण ज्यादा शारीरिक श्रम नहीं होता, तथा जीवनस्तर बढ़ने के कारण वसायुक्त गरिष्ठ आहार हमारे भोजन का अंग बन गया है. चिकित्सक भी यह मानते हैं कि मधुमेह, रक्तचाप था हृदयरोग का मूल कारण आहार तथा दिनचर्या है. बाहर भोजन करने की आदत तथा टीवी के सामने घंटों बैठे रहने के कारण भी शरीर स्वयं को स्वस्थ नहीं रख पाता. कितना अच्छा हो यदि सुबह सूर्योदय से पहले उठकर आधा घंटा भ्रमण के लिए निकालें, फिर एक घंटा आसन तथा प्राणायाम आदि करके दिनचर्या का आरम्भ करें. हल्का पौष्टिक नाश्ता लेकर काम पर लगें तथा हर घंटे पर पांच दस मिनट के लिए शरीर की हिलाना-डुलाना न भूलें. दोपहर के भोजन के बाद दिन में आधे घंटे से अधिक विश्राम न करें. संध्या को भी नियमित रूप से कोई खेल खेलें, तैरें, साइकलिंग करें या टहलने जाएँ. नियमित ध्यान का अभ्यास भी शरीर व मन को स्थिरता प्रदान करता है. रात्रि भोजन के बाद भी कुछ देर चहलकदमी करनी आवश्यक है.

2 comments:

  1. असल मे सुविधाससम्पन लोगों की बीमारी का कारण ही यही है कि जीवन आरामतलब हो गया है।जब बिना हिलेडुले सब काम हो रहे हों तो कोई क्यों कुछ करने की ज़हमत उठाये।

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    1. सही कहा है आपने, स्वागत व आभार दीदी !

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