Wednesday, March 14, 2012

आत्मा का पथ सुंदर है


जनवरी २००३ 
हमें यह सुंदर जीवन भोग के कारण दुःख उठाने के लिये नहीं मिला है, बल्कि योग के द्वारा अनंत शांति, प्रेम व आनंद को पाने के लिये मिला है. देवों और असुरों की तरह हमारा मन व आत्मा दोनों ही परमात्मा के हैं, असुर भी कोई कम शक्तिशाली तो थे नहीं, देवताओं को हरा देते थे, वैसे ही मन के प्रभाव में आकर हम विकारों के गुलाम बनते हैं, तृष्णाओं की आग में स्वयं को जलाते हैं. अब कंस और रावण के मार्ग पर चल कर कोई आनंद कैसे पा सकता है. फिर यह सोच कर खुद पर क्रोध भी आता है कि जीवन का अनमोल समय व्यर्थ बीता जा रहा है, सुख आज भी दूर है. मन के मार्ग पर चलेंगे तो अंत में सिवाय दुःख व बेचैनी के कुछ हाथ आने वाला नहीं है. तो मार्ग क्या है, यही कि मन को पहचान लें और जितनी जल्दी हो सके आत्मा के पथ के राही बन जाएँ, आरम्भ में सब अनजाना भले ही लगे पर अंत में परमात्मा ही मिलेंगे अर्थात आनंद, प्रेम, शांति, शक्ति, सुख, ज्ञान व पवित्रता...!

10 comments:

  1. सुंदर बात ..!!
    आभार ..!

    ReplyDelete
    Replies
    1. अनुपमा जी, स्वागत है...

      Delete
  2. बात तो बढ़िया है.याद रहनी चाहिए.

    ReplyDelete
    Replies
    1. दीदी, आपको तो याद ही है...

      Delete
  3. अंत में परमात्मा ही मिलेंगे
    आनंद, प्रेम, शांति, शक्ति, सुख, ज्ञान व पवित्रता
    आभार

    ReplyDelete
    Replies
    1. रमाकांत जी, स्वागत है...

      Delete
  4. मन के मार्ग पर चलेंगे तो अंत में सिवाय दुःख व बेचैनी के कुछ हाथ आने वाला नहीं है.
    बड़ी मुश्किल में डाल दिया है आपने।
    हम तो इस फिऑसफी में यक़ीन रखते आए हैं कि
    मन को पिंजड़े मे न डालो
    मन का कहना मत टालो

    ReplyDelete
    Replies
    1. मनोज जी, आप स्वयं ही प्रयोग करके देख लीजिए..मन यदि हमारे कहे में चलता है तो मित्र है वरना...

      Delete
  5. बहुत ही बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग

    'विचार बोध'
    पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. शांति जी, आपका स्वागत व आभार !

      Delete