Friday, March 10, 2017

जब जीवन उत्सव बन जाये

११ मार्च २०१७
आजतक न जाने कितने लेखकों, कवियों और विचारकों ने जीवन की परिभाषा की है, पर कोई उसे पूर्णतया परिभाषित नहीं कर पाया. संतों ने जीवन की एक नई परिभाषा दी है, जीवन एक उत्सव है, परिभाषा कोई भी हो, कितनी भी अच्छी हो,  जब तक वह हमारे लिए सत्य नहीं है, जीवन अपरिभाषित ही रह जाता है. एक सामान्य व्यक्ति के लिए जीवन एक संघर्ष है, विद्यार्थी के लिए जीवन सतत् श्रम है. भक्त के लिए जीवन पूजा है, ज्ञानी के लिए जीवन उत्सव है. उनके लिए उत्सव का अर्थ है, आनंदित होना व आनंद फैलाना. ऐसा आनंद जो कहीं से लाना भी नहीं है, स्वतः स्फूर्त है, जो सहज ही है उसे फैलाने का भी प्रयास नहीं करना है, वह फूल की खुशबू की तरह बिखरने ही वाला है. हम कोई उत्सव मनाते हैं तो कितना आयोजन करते हैं, अचछे वस्त्र, फल-फूल, मिठाई का प्रबंध कर मित्रों को बुलाते हैं, और तब परिणाम रूप में आनंदित होते हैं, लेकिन संत कहते हैं, जीवन उत्सव है तो ये सब आयोजन तो उसका परिणाम है, आनंदित व्यक्ति सबके साथ ऐश्वर्य बाँटना ही चाहता है. 

2 comments:

  1. एक सामान्य व्यक्ति के लिए जीवन एक संघर्ष है, विद्यार्थी के लिए जीवन सतत् श्रम है. भक्त के लिए जीवन पूजा है, ज्ञानी के लिए जीवन उत्सव है.

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  2. स्वागत व आभार राहुल जी !

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