Thursday, May 18, 2017

योग सधे जर्रे जर्रे से

१८ मई २०१७ 
 नीले अम्बर में सहज उड़ान भरता पंछी कितना प्रफ्फुलित प्रतीत होता है, अपने पंखों पर जब वह अप्रयास तिरने लगता है तब लगता है कोई अदृश्य सत्ता उसे सहेजे है. उसके पंखों में कितनी ऊर्जा है और उसके उर में कितना उल्लास, इसी तरह कूकते हुए पंछी अपनी मस्ती में न जाने कितने गीत गाते हैं. उनके भीतर संगीत के ये सुर किसी अनजान स्रोत से आते हुए प्रतीत होते हैं. मानव इन सबसे अनजान अपने छोटे-छोटे सुखों-दुखों में खोया हुआ प्रकृति के उस स्पर्श से वंचित ही रह जाता है जो मानवेतर जीवों को सहज ही प्राप्त है. कोई मानव जब स्वयं को  कुदरत से एक कर लेता है, विश्व के साथ अभिन्नता का अनुभव कर लेता है तो सारी कायनात उसे अपने साथ नाचती हुई दिखती है. हमारी उर्जा का स्रोत भी अजर हो सकता है बशर्ते हमें उससे जुड़ना आ जाये. 

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