Wednesday, March 27, 2019

ज्ञान के पथ पर चलता है जो


संत कहते हैं जैसे एक ही धातु से भिन्न भिन्न आकार व क्षमता वाले उपकरण बनाये जा सकते हैं,  एक धातु से ही भगवान की मूर्ति भी बन सकती है और हथियार भी गढ़े जा सकते हैं. उसी प्रकार चेतना शक्ति एक ही है उसी से प्रेम भी प्रकट हो सकता है और नफरत भी. अक्षर वही हैं, एकता  का संदेश भी दे सकते हैं और वैमनस्य की आग भी फैला सकते हैं. सुर और असुर एक ही ऋषि की संताने हैं. यह हमारे ज्ञान पर निर्भर करता है कि हम किसे चुनते हैं और किस वस्तु का प्रयोग किस प्रकार करते हैं. अंततः अज्ञान ही सारे क्लेशों के मूल में है और विवेक ज्ञान द्वारा ही इस अज्ञान को मिटाया जा सकता है. अनुभव के स्तर पर होने वाला ज्ञान ही वास्तव में विवेक है, जो सत्य-असत्य, सही-गलत, नित्य-अनित्य का भेद करना सिखाता है. ऐसा ज्ञान ही वक्त पड़ने पर हमारे काम आता है.

7 comments:

  1. आपके लेख आध्यात्मिकता का सच्चा सीख देते हैं ,बहुत सुंदर और अच्छी बाते ,सादर स्नेह

    ReplyDelete
    Replies
    1. स्वागत है आपका कामिनी जी !

      Delete
  2. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरूवार 28 मार्च 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  4. बहुत बहुत आभार !

    ReplyDelete