Tuesday, June 7, 2011

पूर्णता


अप्रैल २०००
यदि हमारे जीवन का केन्द्र ईश्वर हो तो किसी भी तरह का दुःख या बाधा उसे घेर नहीं सकती, जहाँ ईश्वर का निवास होता है वही घट वैकुंठ बन जाता है. यदि हम अपने चारों ओर ध्यान से देखें तो पता चलता है कि मूलतः सभी इंसान एक हैं, सभी के कुछ आदर्श हैं, कुछ इच्छाएं हैं, कुछ सपने हैं, और सभी उस पूर्णता की तलाश में हैं, जिसे पाकर कुछ पाना शेष नहीं रह जाता, जिसे जानने के बाद कुछ जानना शेष नहीं रह जाता. 

2 comments:

  1. सद्विचार अनीता जी,
    धन्यवाद- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

    ReplyDelete
  2. वाकई यही तो पूर्ण सत्य है .

    ReplyDelete