Monday, June 27, 2011

उच्च जीवन


मारे मन में ये तीन वृत्तियाँ मुख्य होती हैं, इच्छा, प्रेम और जिज्ञासा. यदि इनका स्द्पुयोग करें तो मन शांत होता है. इच्छा अर्थात अनगिनत कामनाओं की पूर्ति की अभिलाषा, यदि ये कामनाएं सत्वगुण से प्रेरित होंगी तभी द्वंद्व मिटेगा अन्यथा बना ही रहेगा. प्रेम यदि ईश्वरीय गुणों, जैसे सत्य, अहिंसा, शांति, आदि से होगा तभी आनंद फलित होगा और जिज्ञासा की प्रवृत्ति यदि जीवित रहेगी तो एक न एक दिन अंतिम सत्य की प्राप्ति की सम्भावना रहेगी. लेकिन यदि खोजने की इच्छा नहीं है, जानने की उत्सुकता नहीं है, और हम एहिक कार्यों में ही जीवन बिता देते हैं, छोटे-छोटे सुखों-दुखों से ऊपर उठने की हममें न तो सामर्थ्य है न ही आवश्कता, तो हमारा जीवन भी सामान्य ही रह जायेगा.

1 comment:

  1. जिज्ञासा की प्रवृत्ति यदि जीवित रहेगी तो एक न एक दिन अंतिम सत्य की प्राप्ति की सम्भावना रहेगी.

    आपका लेख उच्च जीवन की ओर उन्मुख करने वाला है.
    कामना यदि प्रभु प्राप्ति की हो और सभी से प्रेम हो तो सब प्रकार के द्वंद स्वयं मिटते चले जायेंगें.

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