Monday, June 16, 2014

सुरभि समान सहज सुख राशि

अप्रैल २००६ 
सच्चा सुख वह है जो शाश्वत है. वह व्यक्ति, वस्तु, स्थान से मिल ही नहीं सकता क्योंकि ये सभी प्रतिपल बदल रहे हैं. जब तक हमारी दृष्टि में द्वैत है, वह सुख हमें नहीं मिल सकता. अद्वैत का अनुभव होते ही दोष दृष्टि मिट जाती है, मन व वाणी का तप तब सहज ही घटता है. तब यह प्रतीति होने लगती है कि जीवन प्रभु के प्रेम से भरपूर है, उसी तरह जैसे फूलों में खुशबू. एक अखंड शांति तब साये की तरह हर क्षण साथ रहती है.


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