मई २०१०
परमात्मा हर
वक्त हमारे साथ है, सद्गुरु हर क्षण हमारे साथ है, आत्मा हर पल हमारे साथ है. वे
कितने-कितने उपायों से हमें संदेश भेजते हैं, कितने उपाय करते हैं कि हमें ख़ुशी
मिले, ऐसी ख़ुशी जो वास्तविक है, जो हमारे भीतर से आई है. वे इसके लिए कभी-कभी हमें
दंड भी देते हैं. बाहर जब सुबह का सूर्य उगा हो, शीतल सुगन्धित पवन बह रही हो,
पंछियों का मधुर गुंजार हो रहा हो, ऐसे में कोई बच्चा स्वप्न में रो रहा हो तो कौन
माँ उसे झिंझोड़ कर जगा न देगी, वह उसे प्रसन्नता देना चाहती है. ऐसे ही परमात्मा
हमें जगाते हैं, कष्ट भेजकर वह कहते हैं जो तुम्हारा मार्ग था वह सही नहीं था,
देखो ऐसे जीओ.
बहुत सारगर्भित प्रस्तुति...
ReplyDeleteसंग - संग है वह परमात्मा हर - क्षण रहता साथ - हमारे ।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति.....
ReplyDeleteवाह आत्मसाक्षात्कार के पलों का सार्थक संवाद।
ReplyDeleteथोडी देर पहले मैं आपके ब्लॉग पर आई थी , इसी कमेन्ट - बॉक्स को खोल - कर लिख रही थी कि - " अनिता जी ! आप प्रवास पर हैं क्या ? हर बार तो आप बता - कर जाती हैं पर इस बार ......." इतना लिखी थी फिर मिटा कर चली गई , मेल खोली तो मुझे आपके कमेण्ट का सुखद - उपहार मिला । बहुत - बहुत धन्यवाद ।
ReplyDeleteस्वागत व आभार शकुंतला जी, इस ब्लॉग पर बहुत दिनों से कुछ नहीं लिखा. सम्भव हो तो लद्दाख का यात्रा विवरण पढ़ें
Deleteबात तो सही है...
ReplyDeleteवह परमात्मा ही है जो साक्षी भाव से सब देखता है जीवात्मा इस शरीर रुपी वृक्ष के फलों का आस्वाद ले रहा है। ईश्वर उसे देख रहा है। अपने कर्मों की खाद डालते इस वृक्ष की जड़ों में। सुन्दर भाव पूर्ण लेखन।
ReplyDeleteTHANKS FOR YOUR COMMENTS
ReplyDeleteकैलाश जी, शकुंतला जी, वीरेंद्र जी, देवेन्द्र जी व मुकेश जी आप सभी का स्वागत व आभार !
ReplyDeleteसार्थक व सारगर्भित !!
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