जगत आश्चर्यों से भरा
है..यह सृष्टि अनोखी है. हजारों तरह के फूल, रंग-बिरंगी तितलियाँ, सुंदर मछलियाँ,
उगता हुआ सूर्य, रात्रि के नीरव आकाश में लाखों सितारे..और उन सबसे बढ़कर मानव का मन-मस्तिष्क. जिसमें न जाने कितने जन्मों की
स्मृतियाँ और संस्कार अंकित हैं. जिन्हें हम स्वप्न के रूप में देखते हैं. इन सबको
देखने वाला द्रष्टा जब विस्मय से भर जाता है तो स्तब्ध रह जाता है, विस्मय से भरा
मन कुछ पल के लिए ही सही थम जाता है और तब उसे उसका पता चलता है जो इन सबको देख
रहा है, वही हम हैं. यह सृष्टि मानो हमें आश्चर्य चकित करने के लिए ही बनाई गयी है
ताकि हम खुद को पा सकें उन क्षणों में जब बाहर की विविधता हमें स्तब्ध कर दे.
सुन्दर है विहग सुमन सुन्दर मानव तुम सबसे सुन्दरतम ।
ReplyDeleteभाव - पूर्ण - प्रस्तुति ।
ताकि हम खुद को पा सकें उन क्षणों में जब बाहर की विविधता हमें स्तब्ध कर दे.
ReplyDeleteसच कहाँ आपने
सुन्दर शब्द रचना
http://savanxxx.blogspot.in
द्रश्य और द्रष्टा का तादात्म्य ही सर्वश्रेष्ठ अनुभव है...
ReplyDeleteस्वयं की दृष्टि में ही सब निहित है ...!!
ReplyDeleteशकुंतला जी, सावन जी, कैलाश जी व अनुपमा जी आप सभी का स्वागत व आभार !
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