Monday, January 16, 2017

निज भाग्य का निर्माता मन

१७ जनवरी २०१७ 
हमारे आस-पास प्रतिपल कितना कुछ घटता रहता है. कुछ अनचाहा कुछ मनचाहा, पर हर वक्त हमारे पास यह अधिकार होता है कि हम क्या प्रतिक्रिया करें. ऊपर-ऊपर से लगता है हम जो भी प्रतिक्रिया कर रहे हैं वह बाहर की घटना के कारण है पर वास्तव में ऐसा नहीं है, हम यदि किसी बात पर सुखी या दुखी होते हैं तो यह केवल और केवल हम पर निर्भर है. ईश्वर ने हमें यह पूर्ण स्वतन्त्रता दी है कि किस समय हमारे मन की स्थिति कैसी रहे. जैसा भी भाव भीतर जगता है वह न केवल हमारी मानसिक दशा को दर्शाता है बल्कि भविष्य के लिए बीजारोपण भी हो जाता है. प्रतिक्रिया स्वरूप जगाया गया द्वेष भावी दुःख का कारण बनने ही वाला है. यदि संतोष का भाव जगाया तो भविष्य भी सुखमय होगा. 

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