Tuesday, July 24, 2018

जीवन कितने भेद छिपाए


२४ जुलाई २०१८ 
जीवन की परिभाषा अनेक लोगों ने अनेक शब्दों में दी है. जीवन इतना विशाल है कि हर परिभाषा छोटी पड़ जाती है. किसी ने यह भी कहा है, जीवन एक पाठशाला है. यहाँ हमें हर दिन एक विद्यार्थी बनकर प्रवेश करना है, यदि कोई यह मानकर बैठा है कि उसने सब कुछ जान लिया है, तो वह मानो जीवन में प्रवेश ही नहीं कर सकता. यदि कोई यह सोचता है कि उसने सब सीख लिया है, उसे तो अब सिखाना है, वह भी जीवन की गहराई से अछूता ही रह जाता है. यहाँ तो अनजान और मासूम बालक बनकर ही प्रवेशद्वार पर पहुँचा जाता है. सृष्टि में हर घड़ी इतना कुछ घट रहा है कि विस्मय से मन ठिठक जाता है. घास की नोक पर टिकी एक छोटी सी बूंद में पडती सूर्य की किरणों का रंग हो या शाम ढलते ही झींगुरों का राग, आत्मीयता से भरा कोई स्पर्श हो या किसी मूक प्राणी की आँखों में उठा कोई भाव, जीवन हर पल कितना कुछ दिखाता है, सिखाता है.

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