Sunday, April 16, 2023

स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है

आज़ादी की क़ीमत पर जगत का कोई भी वैभव व्यर्थ है। आज़ादी का अर्थ क्या है ? स्वयं को एक ऐसा अनुशासन देकर जीना, जिससे खुद का या किसी अन्य का कोई अहित न होता हो। क्रोध से स्वयं का अहित होता है तथा वातावरण में भी हिंसा के परमाणु फैलते हैं। इसलिए यदि कोई आज़ादी के नाम पर हिंसा करता है तो वह सच्ची आज़ादी नहीं है। यहाँ योग के अनुशासन का पहला अंग ही भंग हो गया।मन का विश्राम भी भंग हो गया, मन सरल नहीं रहा, जटिल हो गया। यदि क्रोध करने के बाद भीतर पश्चाताप जगा तो संतोष नहीं रहा। स्वाध्याय और तप  के द्वारा यदि कोई खुद को इस स्थिति का साक्षी मानकर देखे तो उसके जीवन में ध्यान घटित हो सकता है। भक्त के लिए ईश्वर की शरण में जाना सर्वोत्तम उपाय है। उसमें स्वयं को छोड़ देने का अर्थ है मन के पार जाकर उस एक तत्व से एकत्व महसूस करना, यही सच्ची आजादी या स्वतंत्रता है ।

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