२४ जून २०१६
हम जीवन
में जो चाहते हैं वह पा सकते हैं बशर्ते हमें यह स्पष्ट हो कि हम चाहते क्या हैं ?
स्वयं को जाने बिना हम यह जान ही नहीं पाते कि हमारी वास्तविक मांग क्या है, और स्वयं
हुए बिना स्वयं को जाना नहीं जा सकता. स्वयं होने के लिए हृदय का द्वार खटखटाना
होगा. बुद्धि पर भरोसा छोड़कर भाव जगत में प्रवेश करना होगा. कुछ पलों के लिए हानि-लाभ
की भाषा त्यागकर जीवन को उसके सच्चे स्वरूप में जानना होगा.
No comments:
Post a Comment